बिहार में जाँच सबसे कम और Case positivity rate देश में सबसे ज़्यादा है। आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से बिहार के समकक्ष राज्य 30-40 हजार जाँच प्रतिदिन कर रहे हैं वही बिहार बमुश्किल पिछले 3 दिन से 10 हजार जाँच कर पा रहा है। विगत 4 महीनों में बिहार में प्रतिदिन 4159 औसत जाँच हुआ है।
पिछले एक हफ्ते में कम जाँच के बावजूद प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा नए केस रिपोर्ट हो रहें है| 11-17 जुलाई के आंकड़ों को देखें तो Case positivity rate 13 % है जो की देश में सबसे ज्यादा है और इस बात का इशारा करता है की संक्रमण के फैलाव के अनुपात में बिहार में जाँच कहीं भी नहीं है।
जिस हिसाब से बिहार में केस बढ़ रहे है अगर प्रतिदिन 30-35 हजार जाँच हो तो रोज 4-5 हजार नए मरीज मिलेंगे और संक्रमण में बिहार देश में सबसे ऊपर आ जायेगा। बिहार के लगभग सभी जिलों को संक्रमण ने जकड़ लिया है| जहाँ घनी आबादी है वहां तो और भी बुरा हाल है। पटना का हाल देख लीजिये ,100 से ज्यादा containment zone फ़िलहाल बनाये गए हैं।
इस बात की प्रबल संभावना है की बिहार कोरोना का National Hotspot ही नहीं बल्कि Global Hotspot बनने की ओर अग्रसर है। कितना छुपाओगे?
कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कैसे हो रहा आप सब उससे वाकिफ हैं,मरीज अस्पतालों की चौखट पर तड़प-तड़प कर मर रहें लेकिन उनका इलाज नहीं किया जा रहा। ICU में भर्ती मरीजों का oxygen, injection उनके परिजन लगा रहें, उनका कोई देख-भाल करने वाला नहीं है | सब भगवान भरोसे। लोग जाँच के लिए लाइन में खड़े रह रहें लेकिन उसमें भी पैरवी और पहुँच वालों की ही सुनी जा रही।
पिछले लॉकडाउन अवधि में नीतीश जी ने कुछ नहीं किया, लॉकडाउन आपको सिर्फ वक़्त देता है इससे लड़ने की तैयारी के लिए, ये सिर्फ एक pause button है | अगर आपने जाँच क्षमता नहीं बढ़ाया या व्यापक जाँच नहीं किया ,अस्पतालों का क्षमतावर्धन नहीं किया तो फिर लॉकडाउन का कोई औचित्य ही नहीं है |
कोरोना के साथ साथ बाढ़ से भी हमारे लोग परेशान हैं। लोगों के भरोसे का पुल और सब्र का बाँध भी टूट रहा है।
कोरोना संक्रमण की भयावहता और गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्रीय टीम आ रही है। मैं इन अधिकारीयों को धन्यवाद देने चाहता हूँ की उन्होंने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विफलता और निष्क्रियता को देखते हुए खुद ही कमान सँभालने बिहार आयें। मैं अनुरोध करूँगा की वस्तुस्थिति और जमीनी हकीकत को देखते हुए कदम उठाएं ,आंकड़ों में पारदर्शिता लाने को निर्देशित करें, केंद्र सरकार से विशेष सहायता दिलाने का काम करें, oxygen concentrator ,testing kits को ज़्यादा से ज़्यादा आपूर्ति करें।
शैलेश तिवारी की रिपोर्ट.