मनोज की विशेष रिपोर्ट : ज्यादातर लोग नौकरी बदलते हैं तो उनका बैंक अकाउंट बदल जाता है. ऐसे में उनके पास कई बैंकों में अकाउंट हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि मल्टीपल बैंक अकाउंट के क्या नुकसान हैं.अगर आपका भी कई बैंकों में अकाउंट है तो संभल जाने की जरूरत है. मल्टीपल बैंक अकाउंट से आपको कई तरह का नुकसान हो सकता है. सबसे बुरी बात ये है कि इसमें आपको होने वाले आर्थिक नुकसान का पता भी नहीं चलता है. टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स का ये भी कहना होता है कि सिंगल बैंक अकाउंट रहने पर रिटर्न फाइल करना आसान होता है.अगर आपका कई बैंकों में अकाउंट है तो सबसे पहला नुकसान मेंटिनेंस को लेकर है. हर बैंक का अलग-अलग मेंटिनेंस चार्ज, डेबिट कार्ड चार्ज, SMS चार्ज, सर्विस चार्ज, मिनिमम बैलेंस चार्ज होता है. जितने बैंकों में अकाउंट होंगे, हर बैंक को इस तरह के तमाम चार्जेज चुकाने होंगे. इसका कोई फायदा तो नहीं है, लेकिन आर्थिक नुकसान जरूर है. अगर मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करते हैं तो इसके बदले बैंक तगड़ा चार्ज वसूलते हैं. ऐसे में गैर जरूरी बैंक अकाउंट को बंद करने की सलाह दी जाती है.टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सिंगल बैंक अकाउंट है तो रिटर्न फाइल करना आसान होता है. आपकी कमाई की पूरी जानकारी सिंगल अकाउंट में होती है. अलग-अलग बैंक अकाउंट रहने से यह कैलकुलेशन जटिल हो जाता है. इससे टोटल इनकम का कैलकुलेशन गलत हो सकता है. ऐसे में टैक्स विभाग आपको नोटिस जारी सकता है. ऐसी ही समस्याओं को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने इस बजट में नए सिस्टम की घोषणा की थी. नए नियम के तहत अब सैलरी इनकम के अलावा दूसरे सोर्स से होने वाली इनकम, जैसे डिविडेंड इनकम, कैपिटल गेन इनकम, बैंक डिपॉजिट इंट्रेस्ट इनकम , पोस्ट ऑफिस इंट्रेस्ट इनकम की जानकारी पहले से भरी होगी. अभी तक टैक्सपेयर्स को इसका अलग से कैलकुलेशन करना होता था. इससे कई बार भूल जाने के कारण उसे परेशानी होती थी. अब ये तमाम जानकारी पहले से भरी हुई आएगी. यह जानकारी पैन कार्ड की मदद से हासिल की जाएगी.अगर किसी सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट में एक साल तक किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं किया जाता है तो वह Inactive Bank Account में बदल जाता है. दो सालों तक ट्रांजैक्शन नहीं होने पर वह इंआपरेटिव में बदल जाता है. ऐसे बैंक अकाउंट के साथ फ्रॉड की संभावना बढ़ जाती है. बैंकर्स का कहना है कि इन एक्टिव अकाउंट के साथ इंटर्नल और एक्सटर्नल फ्रॉड के चांसेज सबसे ज्यादा होते हैं. ऐसे में इसका डिटेल सेपरेट लेजर में रखा जाता है.इंडेक्स म्यूचुअल फंड के बारे में जानिए (सांकेतिक तस्वीर)प्राइवेट बैंकों का मिनिमम बैलेंस चार्ज बहुत ज्यादा होता है. जैसे HDFC बैंक का मिनिमम बैलेंस 10 हजार रुपए है. ग्रामीण इलाकों के लिए यह 5000 रुपए है. यह बैलेंस मेंटेन नहीं करने पर एक तिमाही की पेनाल्टी 750 रुपए है. इसी तरह का चार्ज अन्य प्राइवेट बैंकों का भी है. गलती से मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं किया तो आपको हर महीने सैकड़ों रुपए बेवजह चुकाने पड़ सकते हैं. इससे आपके सिबिल स्कोर पर भी असर होता है. आज के जमाने में सिबिल स्कोर हर किसी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसी स्कोर के आधार पर आपको बैंक से सस्ता लोन मिलता है. सिबिल स्कोर कम रहने का नुकसान लंबे समय तक ज्यादा इंट्रेस्ट के रूप में झेलना होगा.अगर आपका मल्टीपल बैंक अकाउंट है तो हर महीने हजारों रुपए केवल मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने में लग जाएंगे. इससे आपके इन्वेस्टमेंट पर असर होता है. जिस पैसे पर आपको कम से कम 7-8 फीसदी का रिटर्न मिलना चाहिए, वह पैसा आपका मिनिमम बैलेंस के रूप में रखा रहेगा. ऐसा नहीं है कि मिनिमम बैलेंस पर इंट्रेस्ट नहीं मिलता है, लेकिन यह अधिकतम 3-4 फीसदी तक होगा. इसी पैसे को सही जगह निवेश करने पर 7-8 फीसदी तक का रिटर्न आसानी से पाया जा सकता है.