झारखंड हेड- अजीत सिंह की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट /दुमका /एक कहावत है पुत सपूत तो इन धन संचय क्या और पुत कपुत तो धन संचय क्या । इसी कहावत को चरितार्थ करते कलयुग के तीन श्रवण कुमार अपने बुढ़े मां बाप को बांस के डाले में बैठाकर सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम होते हुए बासुकीनाथ धाम तक की तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े हैं । यह सच्ची कहानी बिहार के सुल्तान गंज प्रखंड अन्तर्गत शिवनन्दन पुर के रहने वाले पिता सुमित यादव व माता सुमित्रा देवी की है । जिनके तीन पुत्रों संतलाल यादव मंतलाल यादव व सुबोध यादव ने अपने वृद्ध व लाचार माता पिता को बांस के डाले में बैठाकर अपने गांव शिवनन्दन पुर से बाबा बैद्यनाथ धाम होते हुए बासुकीनाथ धाम तीर्थ यात्रा पर अमावस्या तिथि को निकल पड़े । पुत्र संतलाल यादव का कहना है कि घोड़ी के लताड़ से उसका सिर फट गया था और उसकी हालत काफी खराब हो गई थी । माता पिता ने बाबा से कामना कि थी कि अगर पुत्र ठीक हो जाएगा तो दर्शन करने जाऐगें इलाज में काफी पैसा खर्च हो गया और मैं ठीक हो गया ।ठीक होने के बाद हम लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो हमलोगों ने तय कर लिया कि माता पिता को बाबा का दर्शन कराने ले जाना है बस बांस के डाले पर माता पिता को ले निकल पड़े । माता पिता का कहना है कि इस संसार में ऐसा बेटा सभी को मिले ।