पटना, २९ सितम्बर। अखिल भारतीय सर्व भाषा समन्वय समिति के तत्वावधान में नगर के एग्जीबिशन रोड स्थित आध्यात्मिक सत्संग समिति के सभागार में विश्व स्तरीय पत्रिका “प्रज्ञान विश्वम” का लोकार्पण हुआ। पटना के वरिष्ठ साहित्यकार डाक्टर रत्नेश्वर सिंह के व्यक्तित्व कृतित्व पर केंद्रित पत्रिका के इस अंक का लोकार्पण बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने किया। अपने उद्गार में डा सुलभ ने कहा कि कला, संगीत और साहित्य की भाँति पत्र-पत्रिकाओं का भी समाज पर गहरा प्रभाव होता है। साहित्यिक पत्रिकाएँ नवोदित साहित्यकारों के लिए एक प्रशिक्षण-शाला भी होती हैं। इससे नवोदित कवियों को मंच और अवसर भी प्राप्त होता है। यह बिहार के लिए गौरव का विषय है कि पत्रिका का यह अंक पटना के एक ख्यातिनाम कवि को अर्पित है।समारोह की अध्यक्षता करते हुए, जर्मनी के अति विशिष्ट “मैक्स मूलर सम्मान” से अलंकृत एवं प्रज्ञान विश्वम के प्रधान संपादक प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने कहा कि समाज को संस्कारित करने वाली भारत की राष्ट्रीय पत्रिकाएँ विलोपित हो गयी हैं। “प्रज्ञान विश्वम” इस अभाव की पूर्ति के साथ ही पूरे विश्व में हिन्दी को स्थापित करने की चेष्टा है।समारोह के मुख्य अतिथि और दूरदर्शन, बिहार के कार्यक्रम-प्रमुख डॉ राजकुमार नाहर ने कहा कि प्रज्ञान विश्वम के मुख्य पृष्ठ पर बिहार के एक कवि को पाकर गौरव की अनुभूति हो रही है।इस अवसर पर एक भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश से चर्चित कवयित्री मधु मिश्रा, मध्य प्रदेश से शकुंतला तोमर तथा हरियाणा से राजेश प्रभाकर केसाथ ही साथ बिहार के प्रतिष्ठित रचनाकारों आरपी घायल, ऐहसान शाम, धर्मेन्द्र सिंह तोमर, मधुरानी लाल, डा अमरकान्त, अमित मिश्र, सतीश मापतपुरी ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।कवि-सम्मेलन का आरंभ करते हुए, —-समारोह में अतिथि रचनाकारों को संस्था द्वारा “संस्कृति समन्वय सम्मान” से सम्मानित भी किया गया।इस अवसर पर कवि सिद्धेश्वर, विद्यापति चौधरी, कृष्ण रंजन सिंह आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे ।