कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के साथ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अपने सोच को बदलते हुए तालिबान के अनुसार खुद को तैयार करने को तैयारी कर रहा है. कैसे आने वाले समय में इसको निपटा जायेगा. इसी पर सुरक्षा एजेंसी अखंड -मंथन कर रही है. भारत की सुरक्षा एजेंसीया किसी परिस्थिति को निपटने के लिए 24 घंटा तैयार रहती है .आतंकवाद निरोधी अभियानों पर तैनात सुरक्षा बलों के लिए अब नया प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया जाएगा. केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने इन सुरक्षाबलों को नए तरीके से प्रशिक्षण देने और उसके लिए मॉड्यूल तैयार करने के लिए कहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद सुरक्षा की दृष्टि से यह फैसला लिया गया है.इस समय सुरक्षा बलों के लिए मौजूद प्रशिक्षण मॉडयूल है उसमें तालिबान के संबंध में किसी भी तरह की जानकारी नहीं है. भारत ने कुछ दिन पहले ही आशंका जताई थी तालिबान कब्जे के बाद पश्चिम में पाकिस्तान से लगी सीमा में घुसपैठ और दूसरी तरफ पूर्व में खुली सीमा से आतंवादियों की घुसपैठ बढ़ सकती है. केंद्रीय सुरक्षा बलों अफगानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षा बलों के जाने के बाद यह माना है कि पड़ोस में तेजी से नए नए घटनाक्रम हो रहे हैं और भारत को भी इससे सचेत रहने की आवश्यकता है. सीमा सुरक्षाबल जैसे बीएसएफ और एसएसबी, राज्य पुलिस इकाइयों और सीआरपीएफ के साथ साथ जम्मू पुलिस के जवानों को जो आतंकवाद विरोधी कामों में शामिल लोगों के प्रशिक्षण मॉड्यूल में अब सीमा प्रबंधन की बदली हुई स्थितियों को भी शामिल किया गया है. इसमें तालिबान के बारे में जानकारी शामिल की गई है.उन्होंने कहा कि ओपेने सोर्स से मिलने वाली जानकारी को खुफिया तरीके से मिली जानकारी से जोड़ा जा रहा है. अधिकारी ने बताया कि हमारा फोकस पिछले 20 वर्षो के घटनाक्रम पर है जो 11/9 के बाद हुईं. उन्होंने कहा कि जो नया मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है, उसमें तालिबान के नेतृत्व, तौर-तरीकों आदि पर नई नई जानकारी को अपडेट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक चेक पोस्ट पर खड़े सुरक्षा कर्मी को तालिबान के इतिहास और उससे जुड़ी जानकारियां और उसकी गतिविधियां जानना बेहद महत्वपूर्ण है.