CIN ब्यूरो /हिंदू संगठनों की ओर से इस शिकायत के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर आश्चर्य नहीं कि हरिद्वार में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ जैसी कार्रवाई हो रही है वैसी ही हिंदू समाज के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने वालों के विरुद्ध क्यों नहीं हो रही है ? नीति नियम और कानून का तकाजा तो यही कहता है कि वैमनस्य पैदा करने वाले भाषण चाहे जिनकी ओर से दिए जाएं उनके खिलाफ कार्रवाई में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए ।दुर्भाग्य से भेदभाव न केवल होता है बल्कि दिखता भी देता है ।समझना कठिन है कि जिन मामलों में यदि नरसिंहानंद और कालीचरण की गिरफ्तारी हो सकती है, वैसे ही मामलों में तौकीर रजा या फिर असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं हो सकती ?सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं के नफरती भाषणों का उल्लेख किए गए हैं, जिनके खिलाफ कुछ नहीं हुआ । पता नहीं हिंदू संगठनों की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट कितनी गंभीरता का परिचय देगा, लेकिन यह पहली बार नहीं दिख रहा, जब एक पक्ष के लोगों के नफरती बयानों पर कुछ होता नहीं नजर आया और दूसरे पक्ष के लोगों के खिलाफ न केवल कार्रवाई हुई, बल्कि उनकी चौतरफा निंदा भी हुई इसमें कोई हर्ज नहीं गलत बात की निंदा होनी चाहिए लेकिन आखिर एक जैसे मामलों में अलग-अलग रवैया क्यों ?
सिया राम मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार
प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ।
उप संपादक
कंट्री इनसाइड न्यूज़ ।