पटना, २१ फरवरी। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार डा अनिल सुलभ को, तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी ने उनके चेन्नई आगमन पर आदर पूर्वक सम्मानित किया। अकादमी के सचिव और हिन्दी-तमिल के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ईश्वर करुण ने उन्हें पारंपरिक वेष्टि और अंग्वस्त्रम प्रदान कर विभूषित किया। डा सुलभ ने सम्मान स्वीकार करते हुए कहा कि बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, जो हिन्दी की सौ वर्ष पुरानी संस्था है, हिन्दी भाषा और साहित्य के विनम्र प्रचार हेतु निरंतर गतिमान है। अपने शती- वर्ष में सम्मेलन ने देश के जिन १०० मनीषी विद्वानों और १०० विदुषियों को “शताब्दी-सम्मान” अलंकृत किया था, उनने तमिलनाडू की विदुषियाँ और विद्वान भी सम्मिलित हैं। देश में इसे हिन्दी की प्रतिनिधि संस्था के रूप में स्थान प्राप्त है और विदेशों में भी इसकी सम्मान जनक स्वीकृति मिली है। इसकी प्रेरणा से अरब अमीरात, इंग्लैंड, सिंगापुर, मौरीशस, थाइलैंड, नेपाल आदि देशों में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना हुई है।डा सुलभ ने कहा कि तमिलनाडु में “हिन्दी-तमिल साहित्य सम्मेलन” जैसी एक संस्था होनी चाहिए, जो दोनों भाषाओं में अमर-प्रेम को जन्म दे उर दोनों ही भाषाओं के उन्नयन में अपना योगदान दे सके।इस अवसर पर सम्मेलन द्वारा “शताब्दी-सम्मान “ से विभूषित ८० वर्षीया हिन्दी-सेवी डा राजलक्ष्मी कृष्णन, मधुकान्त झा, श्रीकृष्णन जी, मेनका अरविन्द झा, श्रीगणेशन जी आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।चेन्नई में डा सुलभ के सम्मान पर सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा पूनम आनन्द, डा पुष्पा जनुआर, शमा कौसर शमा, सुशील कुमार झा, कुमार अनुपम, डा शालिनी पाण्डेय, सागरिका राय, डा अर्चना त्रिपाठी आदि साहित्यकारों ने हर्ष व्यक्त किया है।