प्रियंका की रिपोर्ट /बुधवार 5 जुलाई को राजकीय तिब्बी कॉलेज, पटना में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें गुमला (झारखंड) के एसपी डॉ. एहतिशाम वकारिब आये, उन्होंने राजकीय तिब्बी कॉलेज के छात्रों को संबोधित किया. वह 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, वर्तमान में झारखंड प्रांत के गुमला जिले में एस.पी. के पद पर हैं, उन्होंने “एमबीबीएस” और “एमडी” के बाद सिविल सेवा भी पूरी की है। प्राचार्य ने कहा के यह हम सभी के लिए बहुत खुशी का पल है, इसके लिए हम सभी उनके आभारी हैं। डॉक्टर वकारीब ने एक घंटे का मोटिवेशनल भाषण भी दिया जिसमें उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी के पहलुओं, चिंताओं, कठिनाइयों और संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। अपने व्याख्यान के दौरान उन्होंने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा एक पारदर्शी परीक्षा है, यह प्रयास होता है के इसे सभी प्रकार की नकारात्मकता से मुक्त रखा जाए। चूंकि इस परीक्षा का पाठ्यक्रम काफी लंबा है, इसलिए इसे पूरा करने में काफी समय लगता है, लेकिन यदि लक्ष्य निर्धारित है, तो परीक्षा समान रूप से हो सकती है। यदि आप एक साथ अध्ययन करते हैं इसमें कोई कठिनाई नहीं है, एक औसत दिमाग वाला छात्र भी इस परीक्षा को पास कर सकता है, क्योंकि यह एक सामान्य परीक्षा की तरह ही है, बस सिविल सेवा के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए तैयारी करने की जरूरत है। साक्षात्कार में अधिकांश प्रश्न आमतौर पर उम्मीदवार के बायोडाटा से होते हैं। लोगों को इस सेवा में आने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। पीजी छात्र और शिक्षकों के कई सवालों का उत्तर दिया गया । सिविल सेवा में वैकल्पिक विषय के संबंध में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होने कहा कि एक डॉक्टर के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में नया विषय चुनना बेहतर नहीं होता है, बेहतर है की मेडिकल साइंस को वैकल्पिक विषय बनाएं क्योंकि एक डॉक्टर ने इस विषय में लंबा समय बिताया है और अच्छी बात यह है कि इस विषय में सफलता दर बहुत अच्छी रही है। यूनानी चिकित्सा में भी आधुनिक चिकित्सा का अध्ययन किया जाता है इसलिए युनानी चिकित्सा के स्नातक भी इस विषय को चुन सकते हैं और उन्हें इसमें कोई समस्या नहीं होगीकार्यक्रम का आयोजन पीएसएम विभाग के पीजी स्कॉलर डॉ. रागीब अहमद नाज ने किया। श्री एहतेशाम का स्वागत डॉक्टर मोहम्मद तनवीर आलम (व्याख्याता, पीएसएम विभाग) ने किया, उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में आगे कहा कि इस सेवा में मुसलमानों का कुल प्रतिनिधित्व केवल 2.5 से 5% है जबकि भारत में मुस्लिम आबादी 17% है। डॉ. शमीम अख्तर, सहायक प्रोफेसर महियातुल-अमराज़ ने गुलदस्ता भेंट किया, डॉ. निज़ाम, एसोसिएट प्रोफेसर, इलमुल-अदविया ने स्मृति चिन्ह प्रस्तुत किया, और कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर तौहीद कीबरिया ने मुख्य अतिथि को उपहार एवं शॉल देकर सम्मानित किया। उन्होने धन्यवाद के साथ ही बेहद खुशी जाहिर की और छात्रों से कहा के इस प्रकार के और भी व्याख्यान आयोजित करने की बात कही। इसके साथ ही कार्यक्रम समाप्त हो गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉक्टर मो तनवीर आलम (कुल्लियत विभाग), डॉक्टर मो रज़ी अहमद, डॉक्टर मो नफीस इकबाल, डॉक्टर मो नजीबुर रहमान, डॉक्टर मो महफुजूर रहमान, डॉक्टर इस्लाम, डॉक्टर फखरूल हक़, श्री मुख्तार वामिक एवं अशरफ जमाल ने मुख्य भूमिका निभाई!