पटना, ६ अक्टूबर। विकलांगता स्वयं में एक कष्ट-प्रद स्थिति है। उसमें यदि ग़रीबी भी हो, जो प्रायः देखी जाती है, इस दृष्टि से देखने पर विकलांग-जनों की अवस्था कितनी चिंताजनक है, इसका सहज अनुमान किया जा सकता है। यह परितोष की बात है कि देश की सरकार ग़रीबी उन्मूलन के अनेक कार्यक्रम संचालित कर रही है। इन कार्यक्रमों से प्राथमिकता के आधार पर विकलांगों को भी, जिन्हें अब दिव्यांगजन कहा जा रहा है, जोड़ा जाना चाहिए। यह बातें शुक्रवार को भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च में, “ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में दिव्यांगनों का समावेश’ विषय पर आयोजित ३दिवसीय राष्ट्रीय सतत पुनर्वास प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के आर्थिक स्वावलंबन के लिए अलग से आर्थिक नीतियों का निर्माण आवश्यक है।इसके पूर्व कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि गंभीरता से विचार करें तो संसार का हर एक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की विकलांगता का शिकार मिलेगा। कोई भी व्यक्ति स्वयं में पूर्ण नहीं होता। समाज मिलकर एक दूसरे को पूर्ण करता है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने से कमजोर और विकलांगों के आर्थिक उन्नयन में सहयोग करना चाहिए।सुप्रसिद्ध पुनर्वास-विशेषज्ञ डा प्रणय कुमार ने कहा कि संसार में १५ प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार की विकलांगता से ग्रस्त हैं। इनमे से ८० प्रतिशत विकलांग गरीबी के भी शिकार हैं। कहना यह चाहिए कि ग़रीबों में विकलांगता का प्रतिशत ८० है। विकलांगों का भौतिक और आर्थिक पुनर्वास प्राथमिकता के स्तर पर किया जाना चाहिए। क्योंकि एक असमर्थ विकालांग न केवल स्वयं के लिए बल्कि अपने परिवार के लोगों की भी समस्या बन जाता है। नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा नीरज कुमार वेदपुरिया ने कहा कि, यह एक ऐसा विषय है जिस पर समाज का ध्यान जाता ही नहीं है। दिव्यांगजन’ग़रीबी उन्मूलन’ के कार्यक्रमों से कैसे जुड़ें, इस पर सरकारों और समाजसेवी संस्थाओं का ध्यान जाना चाहिए। कार्यशाला के समन्वयक और हेल्थ इंस्टिच्युट के विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो कपिलमुनि दूबे ने अतिथियों का स्वागत और डा नवनीत कुमार ने धन्यवाद-ज्ञापित किया। इस अवसर पर, डा संजीता रंजना, प्रो संजीत कुमार, प्रो मधुमाला कुमारी, प्रो जया कुमारी, प्रो चंद्रा आभा, शुभ लक्ष्मी कुमारी, रजनीकांत, प्रशासी पदाधिकारी सूबेदार संजय कुमार आदि संस्थान के पुनर्वास-विशेषज्ञ एवं विभिन्न प्रांतों से आए प्रतिभागी-पुनर्वासकर्मियों ने भाग लिया। मंच का संचालन प्रो संतोष कुमार सिंह ने किया।