आरा – डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल की वजह से चिकित्सा व्यवस्था ठप सी हो गई। डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान हैं। देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराती नजर आ रही है।मरीजों की हालत बहुत खराब है। लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि डॉक्टरों का लगातार हड़ताल पर रहना ही समाधान है?।तस्वीर में आप देख सकते हैं कि अपने हाथों में छोटे बच्चे को लेकर माँ इलाज कराने के लिए रोते बिलखते नजर आ रहे हैं।
और डॉक्टर की ओर से इलाज करने से मना किया जा रहा है। जिससे नवजात अपनी अंतिम सांस गिनने पर मजबूर है. वहीं कई मरीजों का हाल बद से बदतर आरा का सदर अस्पताल में देखने को मिला. क्योंकि निजी से लेकर सरकारी तक ओपीडी बंद है और मरीज अस्पताल के बाहर टकटकी लगाए बैठे हैं। और डॉक्टर दिल पर पत्थर रखकर अपनी अस्पताल बंद कर रखा है। आरा के सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की भीड़ इतनी लगी है कि पुर्जे काटने का दो काउंटर लगाना पड़ा है। वहीं सदर अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि इमरजेंसी सेवा सब को दिया जा रहा है किसी इमरजेंसी मरीज को मरने नहीं दिया जाएगा। अगर इस हड़ताल से मरीज की अगर मौत होती है तो आखिर की जिम्मेवार कौन होगा?
स्टेट ब्यूरो, बिहार