भाजपा की केंद्र सरकार बिहार के जाति आधारित सर्वे से इतना घबराई हुई क्यों है? अब तो ये लोग खुलकर कोर्ट में वैज्ञानिक तरीके से जुटाए जा रहे विश्वसनीय जाति आधारित सर्वे का विरोध कर रहे है?क्या जाति आधारित सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन व गरीबी को हटाकर वंचित/उपेक्षित/जरूरतमन्द वर्गों का समावेशी विकास बीजेपी की संवैधानिक प्राथमिकता नहीं है?केंद्र सरकार सभी जाति/वर्गों के Scientific और Accurate सामाजिक-आर्थिक आँकड़ो की उपलब्धता से इसलिए डरी हुई है क्योंकि पूँजीपतियों की बजाय इससे सभी वर्गों के गरीबों एवं वंचितों के कल्याणार्थ व हितार्थ सटीक विकास नीतियों और कार्यक्रमों को आकार दिया जा सकेगा।क्या केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वे का विरोध कथित नकली OBC PM के कहने से कर रही है?