लुधियाना /बीमारी को तो छोड़िए साहब हम तो भूख से ही मर जाएंगे! यह कहना है लुधियाना के वार्ड 28 के अधीन पड़ते कुछ मुहल्लों के जहां मजदूरी करने वाले लोग रहते हैं।इनके पास ना खाने का कोई खास प्रबंध है ना ही प्रशासन की तरफ से कोई प्रबंध किया जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि लोग खाने की तलाश में सड़कों पर भटक रहे हैं । लुधियाना एक ऐसा शहर है जहां पर मजदूरी करने वाले प्रवासी मजदूर बहुत है। पर मजदूरी ना करने पर सहायता करने वाले बहुत कम है। हमने घूमते हुए लोगों से बात की तो पता चला कुछ समाजसेवी एक समय का खाना खिला रहे हैं। जो हल्की भूख मिटाने के लिए पर्याप्त है पर अगले दिन के लिए सोच कर चिंतित हैं
सबसे बड़ी समस्या यह है, की राशन की दुकान तो खुले हैं।पर पैसे नहीं कुछ पैसे हैं वह भी खातों में , बैंक नही खुल रहा है ना उनके द्वारा स्थापित की गई ग्राहक सेवा केंद्र। करोना वायरस को लेकर जो लॉक डाउन हुआ है। सरकार बोल रही है कि घर में रहे घर में तो रहेंगे श्रीमान पर खाएंगे क्या यह कहना है लोगो का
हालात तो अब यह बने हैं कि लोग काम और पैसा ना रहने के कारण पैदल या साइकिल से गांव जाने को मजबूर है। कम से कम घर जाकर कुछ खाने को और परिवार के साथ रहने का मौका तो मिलेगा। कुछ लोगों से बात करने पर उन्होंने यही बताया कि चलते चलते कम से कम 5 या 6 दिन में तो पहुंच जाएंगे लेकिन यहां रहे तो भूख से ही मर जाएंगे। आने वाले कुछ समय तक काम मिलने की संभावना नहीं है। इसलिए हम यहां से पलायन कर रहे हैं। हमें पता है हमारे पलायन करने से कोरोना का प्रकोप और बढ़ेगा पर क्या करें मजबूरी है।
सभी पलायन करने वाले लोगों का कहना है कि माननीय प्रधानमंत्री इस विकट परिस्थिति में हमारे लिए हमारे परिवार के लिए जो निर्णय लिए हैं वह सराहनीय है। जो लॉक डाउन हुआ है अब तो वह बिल्कुल फेल हो रहा है । लोग बिल्कुल रास्ते पर निकाल रहे है इससे महामारी करोना फैलने का ड़र और ज्यादा है । सरकार फैसले तो ले रही है, परंतु वो आम गरिब जनता तक नही पहुच पा रहा ।
- शशिकान्त मिश्रा : लुधियाना