पूरे देश में कोरोना वायरस कोविड-19 की कहर बरकरार है… ऐसे में लॉकडाउन अभी 3 मई तक जारी है और आगे कोई नहीं जानता है कि इस लॉकडाउन की अवधि और बढ़ जाएगी या फिर खत्म हो जाएगी।
वहीं, बिहार में इस समय लॉकडाउन की धज्जियां बड़े ही आसानी से उड़ाया जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस नाज़ुक समय में भी बिहार में वीआईपी जमात की बहार है…
जहां एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उनकी सरकार हमेशा यह कहते नज़र आता है कि बाहर से छात्रों को बिहार लाने के पक्ष में वह बिल्कुल नहीं है, तो वहीं, दूसरी ओर यह वीवीआईपी लोगों को धड़ल्ले से पास बांटने का कार्यक्रम क्यों चलाया जा रहा है???
कल तक जो नीतीश कुमार अपनी ज़ुबान के पक्के माने जा रहे थे आज उनके ही सरकार में वीआईपी के लिए नियम-कानून हल्के में लिए जा रहे हैं। नवादा की कहानी भला कौन भूल सकता है जिसे अब पूरा देश जानता है कि कैसे एक विधायक को एसडीओ ने पास जारी किया और वह गाड़ी लेकर कोटा पहुंच गए जहां से उन्हें अपनी बेटी को घर लाना था। अब खबर यह भी सामने आ रहा है कि भोजपुर में भी वीवीआईपी लोगों के बच्चों की घर वापसी के लिए मुफ्त पास बांटे गए हैं।
यह बात किसी से नहीं छिपी है कि बिहार में नीतीश कुमार के राज में लॉकडाउन के नियमों को कैसे ठेंगा दिखाया जा रहा है। और तो और भोजपुर में सदर एसडीओ ने थोक की तादाद में पास बांट दिए, ताकि वीवीआईपी लोगों के बच्चों की लॉकडाउन में घर वापसी हो सके।
कुछ दिन पहले ही नवादा की घटना सामने आई थी जहां विधायक की बेटी के लिए स्पेशल पास जारी किए गए तो अब भोजपुर के सदर एसडीओ अरुण प्रकाश ने भी वीवीआईपी लोगों की मदद करने का कारनामा कर दिखाया है। बताते चलें कि कोटा और दूसरे राज्यों में पढ़ने वाले छात्रों को बिहार वापस लाने के लिए भी खुलकर पास बांटे गए।
देखना यह दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने उस फैसले जिसमें उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन में लोगों को बाहर से नहीं बुलाया जाएगा और अब जब दूसरी ओर वीवीआईपी लोगों को पास बांटने का मामला विवादों में आ गया है तो पर उनके क्या रिएक्शन होंगे।
प्रिया सिन्हा,