लॉकडाउन लगाने के कारण देश भर में भयावह स्तिथि है.मेहनतकश,मज़दूर,ग़रीब गठरी-मोटरी सिर पर लादे ,पांव में छाले,लहूलुहान सभी राज्यों से वापस बिहार लौट रहे हैं.उनके समक्ष बेरोज़गारी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.जनता दल राष्ट्रवादी नीतीश कुमार से मांग करता है कि कभी उन्होंने कहा था कि बिहारी कहलाना गर्व की बात होगी और काम के लिए लोगों को अब बिहार के बाहर नहीं जाना पड़ेगा.अच्छे भले मज़दूर,कारीगर स्वयं अपने घर आ गये हैं,उनमें असंतोष बढ़े इससे पूर्व उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान किया जाए.जेडीआर के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक़ रहमान का कहना है कि हमारे मज़दूर भाई इतने भयावह स्तिथि झेल चुके हैं कि रोज़ी-रोटी की तलाश में अब दूसरे राज्यों की तरफ़ मुंह नहीं करेंगें.ऐसी स्तिथि में सरकार को इनके रोज़गार के बारे में सोचना होगा.सरकार के पास न तो नौकरी है और न कोई ऐसा सेटअप जिससे इन्हें रोज़गार मिल सके.मनरेगा के मार्फ़त सरकार मज़दूरों को कितना काम दे पायेगी या पुल निर्माण निगम कितना रोज़गार मुहैया करा पायेगा,कहना मुश्किल है.
हमारे मज़दूर भाई इतने भयावह स्तिथि झेल चुके हैं कि रोज़ी-रोटी की तलाश में अब दूसरे राज्यों की तरफ़ मुंह नहीं करेंगें.ऐसी स्तिथि में सरकार को इनके रोज़गार के बारे में सोचना होगा.
अशफाक़ रहमान कहते हैं कि मेहनतकशों,मज़दूरों को रोज़गार मुहैया कराने का एक ही तरीक़ा है कि बिहार सरकार को बड़े पैमाने पर स्माल स्केल इंडस्ट्री स्थापित करने पर ध्यान देना होगा.इसके लिए लैंड रेवन्यू एक्ट और सर्किल रेट को ख़त्म करना पड़ेगा.इसमें नब्बे प्रतिशत रेट गिराना होगा.क्योंकि इतना महंगा सर्किल रेट पर कोई भी आदमी ज़मीन ख़रीद कर उद्योग लगाना नहीं चाहेगा.बिहार सरकार को गुजरात की तर्ज़ पर सर्किल रेट लाना चाहिए. इंडिया में सबसे कम सर्किल रेट गुजरात में है.जबकि बिहार का सर्किल रेट मुंबई के बराबर है.यही कारण है कि मुंबई में उद्योग-धंधे बंद हो रहे हैं और सबसे अधिक इंडस्ट्री गुजरात में शिफ़्ट हो रहे हैं.बिहार में सर्किल रेट जब कम होगा तो हर इलाक़े में कम लागत पर ज़मीन मिलेगी और लोग छोटे-मोटे उद्योग लगा सकेंगे.इससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे.बिहार सरकार को बड़े पैमाने पर स्माल स्केल इंडस्ट्री स्थापित करने पर ध्यान देना होगा.इसके लिए लैंड रेवन्यू एक्ट और सर्किल रेट को ख़त्म करना पड़ेगा.इसमें नब्बे प्रतिशत रेट गिराना होगा.क्योंकि इतना महंगा सर्किल रेट पर कोई भी आदमी ज़मीन ख़रीद कर उद्योग लगाना नहीं चाहेगा.अशफाक़ रहमान कहते हैं कि देरी होने से असंतोष बढ़ता है.यदि मज़दूरों को फौरी काम नहीं मिला तो आने वाले दिनों में वो उग्र होंगे और देश में अराजकता बढ़ेगी.किसी भी स्तिथि-परस्तिथि में उन्हें उग्र नहीं होने देना चाहिये. सरकारी स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम से लाईसेंस मुहैया करा कर लघु उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए.बिहार में पहले बहुत फैक्टरियां स्थापित थीं.असंवेदनशील सरकारों के कारण एक-एक कर सभी उद्योग बंद हो गये.सुगर मील,पेपर मील,फ़तुहा,पाटलिपुत्रा,हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया बंद हो गये.आज उन सब को भी खोलने की जरूरत है.अशफाक़ रहमान ने सरकार को यह भी सुझाया है कि जिस तरह दस साल पूर्व हर गली-मुहल्ला में शराब दुकान खोलने की इजाज़त दी गयी थी ठीक उसी तर्ज़ पर हर स्थान पर इंडस्ट्री लगाना होगा.बेरोज़गारी दूर करने और राज्य की स्तिथि सुधारने का एक मात्र उपाय है कि सबसे पहले सर्किल रेट को घटाया जाए.इससे सौ करोड़,पांच सौ करोड़ से नह ीं,पचीस लाख,दस लाख,पांच लाख से भी छोटे उद्योगों की शुरुआत हो सकती है और तब बिहारी कहलाने में वाक़ई गर्व की बात होगी.
अनुज मिश्रा