देश में किसान आंदोलन का आज 15वां दिन है. 3 कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े किसान दिल्ली से सटी सीमाओं पर डटे हुए हैं. कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आए हुए हैं. किसानों ने बुधवार को केंद्र के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने कहा था कि वह एमएसपी को जारी रखने के लिये लिखित में आश्वासन देने को तैयार है. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अगर दूसरा प्रस्ताव भेजे तो वे उन पर विचार कर सकते हैं.
जानें किसान आंदोलन की अब तक की 10 अहम बातें…
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि अगर तीनों कानून रद्द नहीं किए गए तो एक के बाद एक दिल्ली की सड़कों को बंद किया जाएगा.
कक्का का कहना है कि किसान सिंघु बॉर्डर पार कर दिल्ली में प्रवेश करने के बारे में भी फैसला ले सकते हैं.
किसान नेता ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से अगले दौर की वार्ता पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है.
किसान इन कानूनों के विरोध में किसान 14 दिसंबर को राज्यों में जिला मुख्यालयों का घेराव करेंगे.
12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर राजमार्ग बंद किया जाएगा. किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि 12 दिसंबर को आगरा-दिल्ली एक्सप्रेस-वे को बंद किया जाएगा और उस दिन देश के किसी भी टोल प्लाजा पर कोई कर नहीं दिया जाएगा.
किसान नेता प्रह्लाद सिंह भारुखेड़ा ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है और हम कृषि-विपणन कानूनों के खिलाफ अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे.
किसान संगठनों की अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन बात नहीं बन पाई है.
गृह मंत्री अमित शाह ने भी मंगलवार को किसान संगठनों के 13 नेताओं से बातचीत की थी, लेकिन उसमें भी कोई हल नहीं निकल पाया था. उसके बाद बुधवार को सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली छठे दौर की वार्ता रद्द कर दी गई थी.
सरकार ने किसानों को बुधवार को प्रस्ताव भेजा था, जिसे उन्होंने नामंजूर कर दिया है.
बुधवार को किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी. इनमें राहुल गांधी और शरद पवार भी शामिल थे.
निखिल दुबे.