कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण को लेकर बेहद संजीदा हैं. यह बात उनके अधिकतर फैसलों में भी दिखता है. हाल में ही बिहार के सभी इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेज में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की घोषणा की गई थी. अब सीएम नीतीश ने सभी थानों में महिला पुलिस अधिकारी या महिला पुलिस की नियुक्ति का आदेश दिया है. जाहिर है बिहार सरकार का यह फैसला महिलाओं को और भी सशक्त बनाएगा. शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित कानून व्यवस्था से संबंधित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सभी थानों में महिला पुलिस अधिकारी या महिला पुलिस की नियुक्ति का आदेश देते हुए कहा कि इससे थाने में शिकायत लेकर आने वाली महिलाओं का समाधान सहज रूप से हो सकेगा और वे खुलकर अपनी तकलीफ महिला अधिकारी को बता सकेंगी.इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 33% रिजर्वेशन बता दें कि सीएम नीतीश ने हाल में ही बिहार के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में छात्राओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की घोषणा की थी. गौरतलब है कि सीएम नीतीश महिलाओं के हक की आवाज को ताकत देने वाले सीएम के तौर पर पहचान रखते हैं. उन्होंने अपने पहले ही कार्यकाल में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का फैसला किया था.बिहार में आधी आबादी को मिला पूरा हक पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण मिलने के साथ ही गांव की सरकार में आधी आबादी का जोर बढ़ा और उनके महत्व को समझा जाने लगा. आज भी यह व्यवस्था बिहार में लागू है. इसके बाद सीएम नीतीश ने बिहार में पुलिस भर्तियों में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का फैसला किया था. आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या अच्छी-खासी बढ़ी है. एक बार फिर सभी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्ति का आदेश आधी आबादी को और सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.साइकिल योजना ने बदल डाला बालिकाओं का जीवन बता दें कि वर्ष 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के एक साल बाद स्कूल की लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की थी. 2006 में शुरू हुई इस योजना से लड़कियों में न सिर्फ़ आत्मविश्वास बढ़ा, बल्कि इस योजना में बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या में भी ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई. इस योजना का कमाल ही था की 2005 में कक्षा 10 की परीक्षा में 1.87 लाख छात्राएं उपस्थित हुईं थीं, जो 2020 में बढ़कर 8.37 लाख हो गई. शराबबंदी पर टिके रहे नीतीश कुमार सीएम नीतीश ने वर्ष 2016 में बिहार में शराबबंदी लागू करने का बड़ा निर्णय लिया था. राज्य के राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ बावजूद वे अपने फैसले पर टिके रहे. बिहार में आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों के लिए तो यह फैसला वरदान साबित हुआ. महिलाओं पर दैनिक अत्याचार में भी बेहद कमी आई. माना जा रहा है कि यह भी बड़ी वजह रही है कि सीएम नीतीश कुमार को हर चुनाव में महिलाओं का व्यापक समर्थन मिलता रहा है और वे लगातार 15 वर्षों से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं.