यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चीफ वसीम रिजवी ने मंगलवार को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की। रिजवी ने कहा, “बाबरी-मंदिर विवाद पर केवल उन्हीं लोगों के साथ बातचीत होनी चाहिए, जो किसी तरह का समझौता चाहते हैं।” बता दें कि श्रीश्री ने बाबरी विवाद पर कहा था कि अब हालात बदल गए हैं और लोग शांति चाहते हैं।
श्रीश्री से मुलाकात के बार शिया वक्फ बोर्ड ने क्या कहा?
1) देश श्रीश्री का सम्मान करता है
– रिजवी ने कहा, “पूरा देश श्रीश्री का सम्मान करता है। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मसला सुलझ जाएगा। देश हित में इस मसले को सुलझाने के लिए अगर श्रीश्री सामने आए हैं तो हमने उनका स्वागत किया है। हमने इस मसले से जुड़ी सारी चीजें उनको मुहैया करवाई हैं।”
2) शिया वक्फ बोर्ड का स्टैंड नहीं बचता
– रिजवी ने कहा, “शिया वक्फ बोर्ड इस मामले का असली दावेदार है। ये शिया मस्जिद थी, शिया ने बनाई थी। 1944 तक इसमें शिया एडमिनिस्ट्रेशन रहा है। उसके बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसको रजिस्टर्ड कर लिया था। ये रजिस्ट्रेशन इनवैलिड घोषित हो गया है। अब ये रजिस्ट्रेशन इनवैलिड घोषित होने के बाद उनका (सुन्नी वक्फ बोर्ड) का कोई स्टैंड बचता नहीं है।”
3) अयोध्या में एक और मस्जिद नहीं चाहते
“घर मेरा है। लड़ाई हम और आप लड़ रहे हैं, ये कैसे हो सकते हैं। हमारी चीज है हम डिसाइड करेंगे। हम इस फेवर में नहीं हैं कि किसी भी तरह से अयोध्या में एक नई मस्जिद बने। अयोध्या में बहुत मस्जिदें हैं नमाज पढ़ने के लिए। जितने मुसलमान वहां पर हैं, उनके लिए बहुत मस्जिदें वहां पर हैं।’
मध्यस्थता पर अब तक क्या हुआ?
श्रीश्री रविशंकर: गुरुवार को मीडिया में आईं रिपोर्ट्स में कहा गया था कि बाबरी विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने के लिए रविशंकर निजीतौर पर कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने 6 अक्टूबर को बेंगलुरु में निर्मोही अखाड़ा और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नुमाइंदों को बातचीत के लिए बुलाया था।
बाबरी एक्शन कमेटी:श्रीश्री के दखल की खबरों का खंडन किया, लेकिन कहा अगर श्रीश्री मध्यस्थता करते हैं तो हमें कोई ऑब्जेक्शन नहीं है, हम इसका स्वागत करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट: मार्च में इस मामले की सुनवाई के दौरान तब चीफ जस्टिस रहे जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा था कि यह मुद्दा सेंसिटिव और सेंटिमेंटल है। सभी पक्ष इस मसले को सुलझाने की नई कोशिशों के लिए मध्यस्थ को चुन लें। अगर जरूरत पड़ी तो हम एक प्रिंसिपल मीडिएटर चुन सकते हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी: स्वामी ने SC से जल्द सुनवाई की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मुझे सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता करने का अधिकार दिया था और इस मामले का जल्द से जल्द फैसला हो जाना चाहिए।
निर्मोदी अखाड़ा: महंत राम दास ने कहा कि इस मामले में बातचीत संवैैधानिक दायरे के भीतर होनी चाहिए, इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।
सुन्नी वक्फ बोर्ड:बोर्ड ने कहा था, “स्वामी की पार्टी का इस केस में इंटरेस्ट है। किसी ऐसे शख्स से बातचीत कैसे की जा सकती है, जो खुद केस में पार्टी हो? बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट रिटायर्ड या सर्विंग जज का एक पैनल बनाए,जो बातचीत की पहल करे। इस दौरान पहले हुई वार्ताओं को भी ध्यान में रखा जाए।”
इकबाल अंसारी: केस के वादी हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कहा, “हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। सुब्रमण्यम स्वामी जैसे राजनीतिक लोगों का शामिल होना, बातचीत को गलत दिशा में ले जाएगा।” बता दें कि हाशिम अंसारी का 20 जुलाई 2016 को निधन हो गया था। उनकी जगह अब बेटे इकबाल अंसारी वादी हैं।
बाबरी-मंदिर विवाद पर शिया वक्फ बोर्ड का SC दावा?
शिया वक्फ बोर्ड ने 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पहली बार एफिडेविट दाखिल किया। बोर्ड ने कहा था कि अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बोर्ड अयोध्या मामले में रिस्पॉन्डेंट (प्रतिवादी) नंबर 24 है। हालांकि, उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया था।
बोर्ड ने कहा था, “बाबरी मस्जिद का इलाका हमारी प्रॉपर्टी है, वहां राम मंदिर बनाया जाना चाहिए। इस विवाद के हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत का अधिकार भी बोर्ड को ही है। इस बड़े विवाद के हल के लिए बोर्ड एक कमेटी बनाना चाहता है और इसके लिए उसे वक्त दिया जाए।’
शिया वक्फ बोर्ड के दावे पर बाबरी कमेटी का क्या कहना है?
शिया वक्फ बोर्ड के SC में पेश किए गए एफिडेविट पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के जफरयाब जिलानी ने ऐतराज जताया।
जिलानी ने कहा कि इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड को ज्यादा अहमियत देने नहीं दी जानी चाहिए। जिलानी ने कहा था- ये सिर्फ अपील है और इस एफिडेविट का कानून में कोई महत्व नहीं है।