रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि हिंद महासागर क्षेत्र ने अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति पर इसके संभावित प्रभाव के लिए केंद्र की तरफ बढ़ाई है। उसने कहा, दुनिया का भविष्य इस क्षेत्र में किए गए बातचीत से निर्धारित होगा।
गोवा समुद्री सम्मेलन 2017 में मुख्य भाषण देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार प्रधान मंत्री के सगारा-सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास की दृष्टि से काम कर रही है।
उन्होंने कहा, भारतीय महासागर अर्थशास्त्र के परिप्रेक्ष्य से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसमें विश्वास की कमी और राष्ट्रों के बीच तनाव है। ऐसी जटिलताओं के बावजूद, पिछले कुछ दशकों में हिंद महासागर शांतिपूर्ण रहा है। बढ़ते सैन्यीकरण, गैर-राज्य के कलाकारों के उद्भव, प्राकृतिक आपदाओं के लिए तटीय आबादी की भेद्यता में वृद्धि, इस क्षेत्र में दिखाई देने वाले रुझान हैं।
श्रीमती सीतारामन ने कहा, भारत समुद्री संपर्क बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सागरमाला में नए बंदरगाहों का निर्माण और पुराने लोगों के आधुनिकीकरण शामिल है। उन्होंने स्मरण किया कि भारतीय नौसेना पड़ोसी देशों की प्रशिक्षण नौसेनाओं में सबसे आगे रही है।
गोवा मरीटाइम कॉन्क्लेव 2017 में उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नेवल स्टाफ के चीफ सुनील लांबा ने कहा, सम्मेलन का उद्देश्य समुद्री चुनौतियों और पालक सहयोग को संबोधित करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के लिए एक मंच स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में खतरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं, जिसमें सहयोग और समझ की आवश्यकता होती है।