पटना, ९अक्टूबर। भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च में, “ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में दिव्यांगनों का समावेश’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सतत पुनर्वास प्रशिक्षण कार्यशाला का रविवार की संध्या समापन हो गया। संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने बिहार, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आए प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए। उन्होंने कार्यशाला में अपना वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत करने वाले विशेषज्ञों डा नीरज कुमार वेदपुरिया, डा प्रीति बाजपेयी, कल्पना झा, डा मोहम्मद गुलज़ार अहमद, प्रो प्रेमलाल, डा विवेक कुमार को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया। इसके पूर्व अपना वैज्ञानिक पत्र प्रस्तुत करते हुए, डा प्रीति बाजपेयी ने दिव्यांग-बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान देते हुए, जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं और चुनौतियों, जिनमे ‘यौन-शोषण’ भी सम्मिलित है, के विषय में जागरूक और प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। अपने अध्यक्षीय उदबोधन में डा सुलभ ने कहा कि पुनर्वास-विशेषज्ञों और विशेष शिक्षाकों का कार्य सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण है, जो संपूर्ण निष्ठा की माँग करत है। इसके अभाव में यह कार्य संभव नही है। क्योंकि इसमें धैर्य की भी आवश्यकता है।कार्यशाला के समन्वयक और हेल्थ इंस्टिच्युट के विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो कपिलमुनि दूबे ने अतिथियों का स्वागत और प्रो संतोष कुमार सिंह ने धन्यवाद-ज्ञापित किया।