चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई ने कहा है कि भारत और चीन को अपने मतभेदों को नियंत्रित करने की कोशिश से परे जाकर द्विपक्षीय संबंधों में उतार-चढ़ाव के विचित्र चक्र को तोड़ना चाहिए। लुओ ने बीजिंग में आयोजित चौथे भारत-चीन थिंक टैंक फोरम में कहा कि चीन और भारत का एक साथ उदय 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है।चीनी विदेश मंत्रालाय की ओर से जारी बयान के अनुसार लुओ ने कहा कि दोनों देशों को मतभेदों को नियंत्रित करने के तरीकों से आगे बढ़कर द्विपक्षीय संबंधों में उतार-चढ़ाव के ‘विचित्र चक्र’ को तोड़ना चाहिए, आपसी विश्वास मजबूत करना चाहिए, मतभेदों से उचित तरीके से निपटना चाहिए, साझे विकास के मार्ग तलाशने चाहिए और बड़े विकासशील देशों के शांतिपूर्वक रहने और मिलकर विकास करने के तरीके खोजने चाहिए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मई 2015 में चीन यात्रा के दौरान थिंक-टैंक फोरम की स्थापना की गई थी। भारत और चीन के शीर्ष राजनयिक इस बैठक में इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों को क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर सहयोग करना चाहिए और एशियाई सदी को साकार करने के लिए बहुआयामी संबंधों को अवश्य कायम रखना चाहिए।
यहां शनिवार को संपन्न हुए चौथे भारत-चीन थिंक टैंक फोरम में दोनों देशों के राजनयिकों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों ने सर्वसम्मति से यह विचार जाहिर किया कि दोनों देशों को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर करीबी सहयोग करना चाहिए।
इस फोरम का आयोजन इंडियन काउंसिल ऑफ वल्डर्स अफेयर्स (आईसीडब्ल्यूए) और चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज (सीएएसएस) ने संयुक्त रूप से किया।
भारतीय दूतावास ने यहां जारी एक बयान में कहा कि एशियाई सदी में भारत-चीन संबंध के तहत इस मंच ने भारत और चीन के बीच करीबी विकास साझेदारी बनाने सहित विभिन्न मुद्दों पर गहराई से चर्चा की। बयान में कहा गया है कि यह चर्चा दोस्ती और खुलेपन की भावना के साथ हुई तथा इसने दोनों देशों के बीच परस्पर समझ बढ़ाने में योगदान दिया।
कौशलेन्द्र पाण्डेय