पटना, ६ मार्च। संसार में भारत ने ही पहली बार स्त्रियों के महत्त्व को समझा था। इसीलिए हमने नारी को ‘देवी’ और ‘शक्ति’ कहा । हमने यह भी कहा कि जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ हीं देवों का वास होता है। अर्थात जिस समाज में स्त्रियों का सम्मान हैं, वही समाज समृद्ध होता है। हम अपने इन्हीं विचारों के कारण विश्व में आचार्य का स्थान अर्जित किया था और हर प्रकार से समृद्ध थे। हम जब से अपने इस मौलिक विचार से दूर हुए तो गिरते चले गए। इतने गिरे कि स्त्रियों और दुर्बलों पर अत्याचार करने लगे।
यह बातें शुक्रवार को कंकड़बाग स्थित चक्रपाणि उत्सव हॉल में अर्जुना-३० फ़ाउंडेशन के तत्त्वावधान में, महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित राष्ट्रीय नारी-शक्ति सम्मान समारोह का उद्घाटन करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि आदि काल में बेटे अपनी माँ के नाम से जाने जाते थे। समाज मात्रि-सत्तात्मक हुआ करता था। नारियाँ प्रधान होती थी। भारत के उत्तर-पूर्व के प्रदेशों में आज भी वह प्रथा क़ायम है। सिक्किम, मेघालय, आसाम आदि प्रांतों में बेटी विदा नही होती, बेटे विदा होते हैं। पैतृक-संपत्ति में भी बेटियों को ही अधिकार मिलते हैं। बेटे ससुराल में रहते हैं।
उन्होंने कहा कि मध्य-काल में जब भारत पर विदेशी-शक्तियों का प्रभुत्व स्थापित हुआ, भारत अपनी भाषा संस्कृत और अपनी गौरवशाली संस्कृति से दूर होता गया। परिणाम-स्वरूप गिरता गया। मनुष्यता से पशुटा की ओर बढ़ता हुआ समाज, स्त्रियों और दुर्बलों पर अत्याचार करने लगा। आज फिर भारत अपनी अस्मिता के लिए जागरूक हुआ है। हम आशा कर सकते हैं कि भारतीय समाज फिर से स्त्रियों को वही आदर देने लगेगा, जिसके लिए वह जाना जाता रहा है। डा सुलभ ने इस अवसर पर सम्मानित हुई महिलाओं को बधाई दी।
समारोह के मुख्य अतिथि तथा दूरदर्शन केंद्र पटना के केंद्र-निदेशक डा राज कुमार नाहर ने कहा कि ‘नारी’, धरती के सामान जीवन को धारण करने वाली और परिवार की धूरी होती है। इनके सम्मान में कमी कर हम ‘माता’ के सम्मान को काम कर रहे हैं।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, फ़ाउंडेशन के निदेशक नवजीत सिंह रावत ने संस्था की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि विगत ५ वर्षों में इस संस्था में प्रशिक्षित हुए लगभग १६०० व्यक्तियों से ८३३ को भारत सरकार एवं अन्य प्रांतीय सरकारों में विभिन्न सेवाओं के लिए चयन किया जा चुका है। इनमें से १२७ ऐसे हैं जिन्हें संस्था ने निःशुल्क प्रशिक्षण दिया।
इस अवसर पर, रानी चौबे, डा रश्मि, डा नम्रता आनंद, डा विनिता राज, निधि तिवारी, आनंदी कुमारी, रुपम मिश्रा, श्रेयाश्री, निकिता भारती, स्वीटी सिंह, आकांक्षा सिंह, प्रीति कुमारी, जागृति प्रिया, अनामिका, पूजा, कोमल साह, हंसिका दयाल, प्रिया राज, कुमारी अनिशा, रंजू देवी, मितालि प्रसाद, अनुकृति कुमारी, बिट्टू कुमारी मिश्रा, सवेता शाही, अनुपमा झा, गुड़िया साह, शिखा मेहता, नीतू सिंह, अनुप्रिया, सुष्मिता, कृपा इलिस, राखी नीतू यादव, स्वाति, करिश्मा, प्रियंका, रीता गुप्ता, ख़ुशबू, स्वाति राज, रेशमा, निशि तिवारी, इन्दु कुमारी, अर्चना कुमारी, सोनाली,मोनिका भट्ट, सिमरन, श्रद्धा, पल्लवी, दिव्या, लक्ष्मी, निशान्त प्रवीण, अदितिश्री, कुमारी सोनम, पूजा सिंह, नेहा वर्मा, सोनम भारती तथा पिंकी कुमारी को ‘राष्ट्रीय नारी-शक्ति सम्मान-२०२०’ से विभूषित किया गया। सभी सम्मानितों को पुष्प-गुच्छ, प्रशस्ति-पत्र, स्मृति-चिन्ह और पदक प्रदान किए गए ।
कौशलेन्द्र पाण्डेय