#श्रीकाशीविश्वनाथमन्दिरन्यासपरिषद ,
#धर्मार्थमंत्रीनीलकंठतिवारी, #मुख्यमंत्रीयोगीआदित्यनाथ,
#प्रधानमंत्रीनरेन्द्रमोदी
महादेव,
कल जो कुछ भी हुआ अविश्वसनीय था , हम क्या हमारे पूर्वजों ने भी नहीं सोचा था कि हमारी जगह अन्य कोई अर्चक बैठकर सप्तर्षि आरती करेगा। जो सप्तर्षि आरती देखें है वो बहुत अच्छे से जानते हैं कि कल जो गर्भगृह में आरती हुई वो केवल खानापूर्ति किया गया है।
सत्य क्या है ?
कल जब मैं आरती के लिए मंदिर में जा रहे था तो मुझे गेट नं १ पर रोक दिया गया , कारण पूछने वहां उपस्थित प्वाइंट प्रभारी ने हाथ जोड़कर निवेदन किया कि महाराज हमें ऊपर से आदेश है। खड़े होकर प्रतीक्षा करते करते ३० मिनट हो गया , आश्चर्य तब हुआ जब प्वांइट प्रभारी ने वारलेस करके अधिकारी से पूछा तो जवाब आ रहा है आपको क्या समस्या है? आपका काम है उन्हें रोकना उनको खड़ा रहने दीजिए। आरती का समय भी हो गया था तब तक हमारी आरती के १-२ अर्चक और जो गेट नं १ से जाते हैं वो भी आ गए,और हम ३ अर्चक गेट नं ४ ज्ञानवापी पर पहुंचे तो वहां देखने को मिलता है कि हमारी आरती के अन्य अर्चक जो गेट नं ४ से प्रवेश करते हैं वो भी वही खड़े हैं हम सभी लोग मिलकर D.O. ज्ञानवापी एवं अन्य अधिकारीगणों से मिले जिन्होंने यही बोला का हमें ऊपर से आदेश है। हमने बहुत निवेदन किया लेकिन जिनसे निवेदन करो वो स्वयं हाथ जोड़कर हमसे निवेदन करने लगते हैं कि हम क्या कर सकते हैं ऊपर से आदेश है।
समय व्यतीत हुआ और आरती का समय ७:३० भी पार होने लगा , अर्चक लोगों ने CEO Vishal Singh जी से फोन पर बात किया तो उन्होंने कहा मैं वारलेस करवाता हूं और फिर उन्होंने हम अर्चकों का फोन भी नहीं उठाया।
बहुत ही मजबूरी में हमने रोड में बैठकर आरती करने का निर्णय लिया। आपको क्या लगता है हमें शौंक है रोड पर बैठने का?,उस वक्त हमारे ह्रदय में क्या पीड़ा थी शब्दों में बयां नहीं कर सकते। कैसे हम अपने घर वापस आए उदास मन को लेकर बता नहीं सकते। अंतर आत्मा खिन्न हो गई है जी तो कर रहा था कि धरती में समा जाऊं।
आज समाचार पत्रों में जो C.O Vishal Singh जी का बयान देखा हूं कि अन्य अर्चकों को जाने से नहीं रोका गया वह स्वयं नहीं आरती में सम्मलित हुए, हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई है , मन बहुत ही उदास है की एक अधिकारी महोदय के द्वारा अपने बात को सही बताने के लिए कुछ वैदिक परम्परा से जीवनयापन करने वाले ब्राह्मणों के साथ कूटनीतिक मार्ग को चुना और राजनीति की।
ऊपर से अफवाह बता कर इतने बड़ी घटना पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रशासन हमें कल मंदिर प्रवेश पर किस आधार पर रोका?
*क्या हमें प्रशासन द्वारा नियुक्त किया गया है?
– नहीं हम परम्परागत पीढ़ियों से बाबा की सेवा में हैं।
* क्या मंदिर प्रशासन हमें कोई वेतन देता है?
– नहीं हम अपने वैदिक शिक्षा और पुरूषार्थ से अनुष्ठान आदि से अपनी आजीविका चलाने वाले हैं।
* क्या मंदिर प्रशासन द्वारा हमारी आरती में कुछ सहयोग होता है
– नहीं , हम काशीवासियों के सहयोग से आरती की सारी पूजन सामग्री द्वारा बाबा का अर्चन करते हैं।
इसे भी जाने-
पिछले कुछ महीनों से प्रशासन द्वारा लगातार किसी भी तरह सप्तर्षि आरती के अर्चकों को बाहर करने का कूटनीतिक षड्यंत्र रचा जा रहा था। बहुत बार प्रयास भी किया गया परन्तु काशीवासियों के विरोध से सफल नहीं हो सके। आज लाकडाउन के समय में ऐसी राजनीति हमारे साथ की गई जो बहुत ही अशोभनीय और शर्मनाक कार्य हुआ।
जो लोग इस अशोभनीय घटना को अफवाह आदि बता रहे हैं उनको मेरा विनम्र निवेदन है कि हम कोई राजनेता नहीं हैं जो रोडपर जिंदाबाद मुर्दाबाद करेंगे। हम कर्मकाण्डीय ब्राह्मण हैं, लेकिन अगर कोई हमारे अधिकारों से हमें वंचित करेगा तो हम क्या कर सकते हैं ?
यदि कल हम ऐसा नहीं करते तो क्या इस घटना से आप सभी काशीवासी अवगत हो पाते?
” यदि मेरे द्वारा ऊपर लिखी कोई भी बात असत्य है तो बाबा विश्वनाथ जी मेरे सारे कुल का संहार कर दें। ”
कृपया इसे अफवाह न बताएं।
यदि हमारे जीवन में विश्वनाथ जी की सेवा नहीं तो हमें ऐसे निरर्थक जीवन से कोई मोह नहीं।
” अगर हमारे अधिकारों से हमें वंचित किया गया,तो हम अपने प्राण भी विश्वनाथ की सेवा के लिए न्योछावर करने की सामर्थ्य रखते हैं जिसकी जिम्मेदारी विश्वनाथ मंदिर प्रशासनिक अधिकारी और वर्तमान सरकार की होगी”
काशी की परम्परा काशीवासियों के हाथ 🙏
दाता विश्वनाथ की जय
हर हर महादेव
पंडित विकास
अर्चक सप्तर्षि आरती
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
वाराणसी,उत्तर प्रदेश
सियाराम मिश्रा, सह संपादक