भारत-चीन का किस्सा इस समय हॉट टॉपिक बन चुका है। दोनों के बीच चल रहे तनाव से आम जनता के साथ-साथ कई कंपनियों को भी हानि पहुंच रही है और इसी में से एक है चीनी कंपनी हुवै। जी हां, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हुवै जो भारत में 5G सेवाओं का एक प्रमुख दावेदार माना जा रहा था उसे भारत में 5G की नीलामी फिलहाल एक साल के लिए टाल दी गई है जबकि पिछले साल हुवै को 5G ट्रायल में भाग लेने की अनुमति दी गई थी।
देखा जाए तो अमेरिका दुनिया भर के देशों पर यही दबाव डाल रहा है कि हुवै को बाहर ही रखा जाए। वहीं, अमेरिका में हुवै के उत्पादों पर तो मई 2021 तक के लिए पाबंदी लगा दी गई है। खबरों की मानें तो 29 जून, 2020 को मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक में 5G पर चर्चा हुई। इस खास बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद , विदेश मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल आदि शामिल हुए थे।
यूं तो बैठक के नतीजों का पता अब तक नहीं चल पाया है। हालांकि भारत में भी हुवै का विरोध ज़ोरों से हो रहा है क्योंकि इसके संस्थापक के पीएलए से रिश्ते बताए जाते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि सीमा विवाद के बाद देश में बदले माहौल में हुवै के लिए रास्ता काफी मुश्किलों से भरा हो गया है और साथ ही भारत में सुरक्षा कारणों से हुवै को लेकर चिंता भी जताई गई है।
बताते चलें कि सिंगापुर में 5G की दौड़ से हुवै बाहर हो चुका है। और तो और वहां नोकिया और एरिक्सन को मौका मिला है। गौरतलब है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में सुरक्षा कारणों के मद्देनजर हुवै को ट्रायल से बाहर रखा गया था, माना तो यह भी जा रहा है कि भारत सरकार भी हुवै पर कार्रवाई कर सकती है।
प्रिया की रिपोर्ट.