ब्रिटेन से आए कोरोना वायरस के नए रूप से दुनिया भर में हड़कंप मच गया गया है. कहा जा रहा है कि ये 70 फीसदी तेज़ी से फैल रह है. पिछले 4-5 दिनों के दौरान भारत में भी ब्रिटने से लौटे लोगों पर खास नजर रखी जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोरोना के इस नए रूप से काफी ज्यादा डरने की जरूर है. इस वायरस को लेकर एम्स के डायरेक्टर और कोरोना टास्टफोर्स के सदस्य डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इस वायरस से डरने की नहीं बल्कि सावधान रहने की जरूरत है. डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि लोग बस सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाते रहे किसी को कुछ नहीं होगा.डॉक्टर गुलेरिया के मुताबिक ब्रिटेन से कोरोना के इस नए स्ट्रेन से जो डेटा मिल रहे है उससे ये साबित होता है कि ये फैल तेजी से रहा है. लेकिन न तो ज़्यादा लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है और न ही ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. उन्होंने कहा, ‘देखिए बाक़ी देशों के मुकाबले हम अच्छे हालात में हैं. ऐसे में हमें कोरोना के इस नए स्ट्रेन से सावधान रहने की जरूरत है. हमारी रिकवरी रेट अच्छी है. हमारे यहां काफी कम लोगों की मौत हो रही है. अगर हम कोरोना को लेकर गाइडलाइन को फॉलो करें. लिहाजा सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाए तो फिर हम नए वायरस पर काबू पा सकते हैं.’नहीं दिख रहे हैं अलग लक्षण, डॉक्टर गुलेरिया ने ये भी कहा कि भले ही इस वायरस को नया स्ट्रेन कहा जा रहा है, लेकिन सच्चाई ये है कि हर महीने में दो बार ये वायरस अपना रूप बदलता है. उन्होंने कहा, ‘देखिए वायरस का रूप हर महीने औसतन दो बार बदल रहा है. लेकिन इसके इसके लक्षण एक जैसे हैं. और इसका इलाज भी उसी तरीके से होगा जैसा कि पहले होता था. कोरोना का ये रूप युवाओं में तेज़ी से फैल रहा. लिहाजा उन्हें सावधान रहने की जरूरत है. साथ ही मौजूदा डेटा के मुताबिक वैस्कीन भी इसके खिलाफ असरदार होगी.’कब आएगी वैक्सीन?डॉक्टर गुलेरिया के मुताबकि इस साल के आखिर तक या फिर नए साल में हमें कोरोना की वैक्सीन मिल जाएगी. उन्होंने कहा, ‘देखिए वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले हम दो चीजों को देखेंगे. पहला ये कितना सुरक्षित है औॅर दूसरा क्या ये वारस के खिलाफ असरदार है. जो लोग हमारी प्रायोरिटी लिस्ट में है उन्हें ये वैक्सीन अगले 6-8 महीनों में मिल जाएगी. ये अचानक रातों रात नहीं होगा. इसमें वक्त लगेगा.
अनुज की रिपोर्ट.