निखिल दुबे की रिपोर्ट /निखिल ब्रह्मांड सूक्ष्म रूप में संगीत ही है। ब्रह्मांड की समस्त बस्तुएँ सूक्ष्म रूप में ऊर्जा और स्पंदन है, जिनसे निरंतर एक संगीतात्मक ध्वनि सृजित होती रहती है। अस्तु संगीत का हर एक पदार्थ पर प्रभाव पड़ता है। मानव-मन पर इसका अत्यंत गहरा प्रभाव होता है। एक दिव्य औषधि की भाँति, संगीत मानव के असाध्य रोगों का भी उपचार करने में सक्षम है। यह मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी को भी जीवन प्रदान करता है। दुखियों के आँसू पोंछ कर उनमे नव-जीवन का संचार करता है। निर्जीवों में भी प्राण-फूंक सकता है,यदि साधक में वह सामर्थ्य हो। यह बातें, विश्व रंगमंच दिवस पर नटराज कला मंदिर के तत्त्वावधान में, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित समारोह और विचार-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि संगीत किस प्रकार असाध्य रोगों का भी उपचार कर सकता है इसका एक महान उदाहरण इटली का बहुचर्चित तानाशाह शासक मुसोलिनी है, जो घोर अनिद्रा-रोग से ग्रस्त था। महीनों से उसे एक क्षण को नींद नहीं आइ थी। भारत के महान संगीतकार पं ओमकार नाथ ठाकुर ने उसके सामने बस एक राह छेड़ा भर था कि मुसोलिनी ऐसा सोया कि दो दिनों के पश्चात उसकी नींद टूटी। इस उपलब्धि पर उसने यह कहा कि जो कार्य भारत के इन महान संगीताचार्य ने किया है, उसके बदले में इटली का आधा साम्राज्य भी इन्हें दे दिया जाए तो कम होगा।संगोष्ठी के मुख्य वक़्ता और संगीतज्ञ डा शंकर प्रसाद ने कहा कि जीवन केवल मानव के रूप में नहीं है। सृष्टि के प्रत्येक करण में जीवन है। पशु-पक्षी,वृक्ष, नदी झरने, समंदर से लेकर पर्वतों की ऋंखला तक में, सब में जीवन है। इन सब पर संगीत का प्रभाव पड़ता है। भारतीय मनीषियों ने संगीत के व्याकरण को इन्हीं सारे तत्तवोम के मुखरित होने से बनाया। सुरों की अवस्था समय के प्रहर पर है तो ऋतुओं के चक्र से भी इनका संबंध है। संगीत के राग-रागिनियों का प्रभाव सृष्टि के कण-कण में देखा जा सकता है। उन्होंने गायन की प्रस्तुति देकर अपनी बातें स्पष्ट की,जिसका श्रोताओं ने ख़ूब आनंद उठाया।इसके पूर्व विषय का प्रवर्तन करते हुए, नटराज कला मंदिर के अध्यक्ष कुमार अनुपम ने कहा कि समस्त ब्रह्मांड में लाखों-करोड़ों ग्रह-उपग्रह घूम रहे हैं। उनसे एक संगीत का स्वर ‘ओम्’ उत्पन्न हो रहा है। यही संगीत है, जिसके अभाव में जीवन या प्रकृति का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता।आयोजन के मुख्यअतिथि और दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा ओम् प्रकाश जमुआर, सुप्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता, निर्देशक एवं पत्रकार सलील सुधाकर, सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा तथा वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानवर्द्धन मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत कला मंदिर की सचिव अंजुला कुमारी ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सह-सचिव रमेश कुमार सिंह ने किया। मंच का संचालन किया डा शालिनी पाण्डेय ने।इस अवसर पर, वरिष्ठ कवि राज कुमार प्रेमी, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, कवि सुनील कुमार दूबे, डा सुलक्ष्मी कुमारी, कृष्ण रंजन सिंह, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा एच पी सिंह, चित रंजन भारती, स्वामी गिरिधर, पुरुषोत्तम मिश्र, अर्जुन प्रसाद सिंह, ज्योतिषाचार्य उमेशचंद्र तथा कवि जय प्रकाश पुजारी समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।