पटना, २ अक्टूबर। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का १०३वाँ स्थापना दिवस समारोह १९ अक्टूबर, २०२१ को आयोजित किया जाएगा। पूर्ण दिवसीय इस महोत्सव में प्रदेश के हिन्दी सेवियों को नामित अलंकरणों से सम्मान के साथ भारत की स्वतंत्रता का अमृतोत्सव भी मनाया जाएगा। संध्या में, सम्मेलन के कला-विभाग के तत्त्वावधान में काव्य-नृत्य-नाटिका का मंचन किया जाएगा। समारोह के उद्घाटन हेतु बिहार के महामहिम राज्यपाल से आग्रह किया जा रहा है। यह जानकारी शनिवार को सम्मेलन सभागार में, सम्मेलन की नवगठित कार्यसमिति की प्रथम बैठक के बाद, जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने दी। डा सुलभ ने बताया कि बैठक नितांत आत्मीय भाव में संपांन हुई तथा सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कुछ आमंत्रित सदस्यों को छोड़कर, कार्य समिति की शतप्रतिशत उपस्थिति रही। सदस्यों ने सम्मेलन की उन्नति और हिन्दी भाषा के विकास में महत्ती योगदान के लिए मूल्यवान परामर्श भी दिए। निर्णय लिया गया कि सम्मेलन के प्रकाशन विभाग और पुस्तकों के विपणन पर विशेष बाल दिया जाए। अनेक खंडों में प्रकाशित होने वाले ‘साहित्यकार परिचय-ग्रंथ’ का प्रकाशन शीघ्र आरंभ किया जाए तथा सम्मेलन पत्रिका का नियमित प्रकाशन सुनिश्चित किया जाए। अपनी प्रथम बैठक में कार्यसमिति ने कर्तव्य और निष्ठा की भी शपथ ली।बैठक में,सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, डा उपेन्द्रनाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा अमधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी, डा पुष्पा जमुआर, डा शलिनी पाण्डेय, बच्चा ठाकुर, आराधना प्रसाद, डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा अर्चना त्रिपाठी, सागरिका राय, सुनील कुमार दूबे, कृष्ण रंजन सिंह, डा मेहता नगेंद्र सिंह, प्रो बासुकी नाथ झा, कुमार अनुपम, आचार्य विजय गुंजन, जयप्रकाश पुजारी, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा दिनेश दिवाकर, संजीव कुमार मिश्र, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी,अम्बरीष कांत, आनंद किशोर मिश्र, श्याम बिहारी प्रभाकर, प्रवीर पंकज, पं गणेश झा, ज्ञानेश्वर शर्मा, श्रीकांत व्यास, चितरंजन भारती, प्रो सुशील कुमार झा, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता, राजेश भट्ट, शमा कौसर ‘शमा’, पूनम आनंद, डा सीमा रानी, लता प्रासर, प्रेमलता सिंह, तलत परवीन,तथा अभिलाषा कुमारी उपस्थित थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर, उनके चित्रों पर माल्यार्पण कर कार्य समिति की बैठक संपन्न हुई।