सीनियर एडिटर -जितेन्द्र कुमार सिन्हा ::जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कांस्फ्रेंस) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कायस्थों को अह्वान किया है कि अब समय आ गया है कि कायस्थों को अपना अधिकार लड़कर लेना होगा अन्यथा वे राजनीतिक रूप से हाशिये पर चले जायेंगे।उन्होंने कायस्थों की एकता पर बल देते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में कायस्थों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस, डॉ राजेन्द्र प्रसाद एवं लालबहादुर शास्त्री का योगदान आजादी की लड़ाई में किसी से भी कम नहीं रहा है। भारतवर्ष का स्वर्णिम इतिहास चाहे वह प्राचीन, मध्य कालीन या आधुनिक काल का हो, सभी साक्षी है कायस्थ समाज की विभूतियों के योगदान की कोई अनदेखी नहीं कर सकता है। देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री कायस्थ थे। बिहार के गौरवशाली निर्माण में कायस्थ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमारे गौरवशाली इतिहास में राजा महाराजा ही नही, शिक्षाविद, न्यायविद, प्रतिभाशाली पत्रकार, चिकित्सक, कलाकार, या यूं कहें कि हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन देने वाले एक से एक कुल विभूति हुये हैं। आज हमें अपनी समृद्ध जनसंख्या को एकजुट कर के इतिहास गढ़ने की क्षमता को समझना होगा। अपने कुल और पूर्वजों के गौरवमयी इतिहास से प्रेरित होते हुए राजनैतिक तौर पर भी चैतन्य होने की आवश्यकता है।ग्लोबल अध्यक्ष ने कहा कि आजादी की लड़ाई से लेकर देश के हर क्षेत्र में अपना विशिष्ट योगदान देने वाले कायस्थ समुदाय की हो रही लगातार उपेक्षा तथा उनके हितों पर किए जा रहे कुठाराघात के विरोध में विश्वस्तरीय कायस्थ संगठन ग्लोबल कायस्थ कॉन्फेंस (जीकेसी) ने लोकतंत्र की जननी वैशाली से 25 सितम्बर (शनिवार) से अपने शंखनाद यात्रा की शुरूआत कर दी है।उन्होंने कहा कि यह शंखनाद यात्रा देश की राजधानी नयी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आगामी 19 दिसंबर को होने वाली राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर की “विश्व कायस्थ महासम्मेलन” में कायस्थ समाज को एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए की गई है।राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि प्रायः सभी राजनीतिक संगठनों द्वारा भगवान चित्रगुप्त के वंशजों को दबाने की कोशिश की जा रही है और उनका वाजिब हक भी देने की बात तो दूर उसे छीन भी लिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में सभी कायस्थ संगठनों तथा चित्रगुप्त वंशजों को एकजुट होकर इस रचनात्मक तथा सकारात्मक अभियान में अपना सशक्त योगदान देने की जरूरत है। अब समय चुप बैठने का नहीं है बल्कि राजनीति सामाजिक प्रशासनिक व्यापारिक तथा अन्य क्षेत्रों में अपने हक को लेकर आवाज को बुलंद करनी है।उन्होंने यह भी बताया कि जीकेसी अपने सात मूलभूत सिद्धांत सेवा, सहयोग, संप्रेषण, सरलता, समन्वय, सकारात्मकता और संवेदशनीलता को जीवन में आत्मसात करने पर जोर दिया।ग्लोबल अध्यक्ष ने कहा कि हमें चित्रांश की ताकत दिखाते हुए जीकेसी को विस्तारित करते रहना है। संगठन को आगे बढ़ाने के लिए सोच और विचारधारा का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हो रही है। जीकेसी की स्थापना का महत्वपूर्ण उद्देश्य सम्पूर्ण कायस्थ समाज को संगठित, उन्नत एवं सशक्त करना है। कायस्थ समाज के लोग एक दूसरे से समन्वय स्थापित कर रहे है, जिससे उनका सर्वांगीण विकास की दिशा में कदम बढ़ चुका है।