पटना, २७ मार्च। राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक सहित अनेक प्रशासनिक पदों पर अपनी मूल्यवान सेवाएँ देने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और साहित्यकार डा भगवती शरण मिश्र आधुनिक काल में हिन्दी के अग्र-पांक्तेय उपन्यासकार थे। ‘पीतांबरा’, ‘पवनपुत्र’, ‘अग्नि-पूरुष’, ‘पुरुषोत्तम’, ‘मैं राम बोल रहा हूँ’, ‘देख कबीरा रोया’, ‘अरण्या’, ‘लक्ष्मण रेखा’ ‘पद्म नेत्र’ जैसे वैदुष्यपूर्ण दर्जनों उपन्यासों, कथा-संग्रहों और आलोचना ग्रंथों से हिन्दी का भंडार भरने वाले मिश्र जी ने अपने साहित्य से भारतीय वांगमय के रहस्यमय अंशों को उजागर करने का अद्वितीय और ऐतिहासिक कार्य किया है।यह बातें, रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-समारोह एवं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि उन्हें डा मिश्र से तब से आत्मीय संबंध बना जब वो नवसृजित ज़िला शिवहर के प्रथम ज़िलाधिकारी बन कर आए थे। उनके साथ लेखन करने का एक सुखद अनुभव आज भी स्मरण रहता है। उनके साहित्य को पढ़कर ही उनके विराट साहित्यिक व्यक्तित्व को समझा जा सकता है।डा सुलभ ने घोषणा की कि अगले वर्ष से, प्रत्येक वर्ष बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से देश के एक मनीषी साहित्यकार को ‘डा भगवती शरण मिश्र स्मृति-सम्मान’ तथा एक विदुषी को, उनकी पुण्यवती पत्नी कौशल्या मिश्र की स्मृति में एक-एक लाख रूपए के पुरस्कार प्रदान किए जाएँगे।समारोह का उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय खाद्यआपूर्ति राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि डा भगवती शरण मिश्र का साहित्य ही नहीं उनका व्यक्तित्व भी प्रेरणादायक है। उनके जीवन-आदर्श और आचरण में उतारने योग्य है। भले ही आज वो हमारे बीच नही हों, किंतु उनकी अविनाशी आत्मा सदैव हमारा मार्ग दर्शन करती रहेगी।श्री चौबे ने आश्वस्त किया कि वे डा मिश्र के लिए पद्म-सम्मान हेतु, प्रधानमंत्री जी से आग्रह करेंगे।महावीर मंदिर न्यास के सचिव और पूर्व भा पु से अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि भगवती बाबू हिन्दी के बहुत बड़े लेखक थे। किंतु उन्हें वह स्थान नही मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। ‘पवन पुत्र’ नामक उनकी कृति भगवान हनुमान के ऊपर लिखी गई हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ रचना है। एक व्यस्त अधिकारी होकर भी उन्होंने जो विपुल साहित्य की रचना की वह एक बड़ा तपस्वी ही कर सकता है।
पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार, पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, कल्याणी कुसुम सिंह, वरीय अधिवक्ता रवींद्र कुमार चौबे, वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र, भगवती बाबू के पुत्र डा जनार्दन मिश्र, पुत्रियाँ अधिवक़्ता छाया मिश्र, पत्रकार आशा उपाध्याय और संयुक्त राष्ट्र संघ में वरीय सलाहकार उषा मिश्र ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।
इस अवसर पर एक कवि सम्मेलन भी संपन्न हुआ, जिसमें वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, रामनाथ राजेश, डा सुमेधा पाठक, डा उमा शंकर सिंह, जय प्रकाश पुजारी, अशोक कुमार, शुभचंद्र सिन्हा, पं गणेश झा, डा आर प्रवेश, मीना कुमारी परिहार, डा बबीता ठाकुर, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, प्रदीप पाण्डेय, अर्जुन प्रसाद सिंह, रमेश पाठक, मुकेश कुमार ओझा, मंजु भारती, उपेन्द्र नारायण पाण्डेय, संजय कुमार अम्बष्ट आदि कवियों ने अपनी गीति-रचनाओं से डा मिश्र को काव्यांजलि अर्पित की।मंच का संचालन सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद तथा कवयित्री डा अर्चना त्रिपाठी ने किया ।