पटना, १५ सितम्बर। हिन्दी भारत की ‘राष्ट्रभाषा’ घोषित हो, इस हेतु अनवरत प्रयास करते रहने और संपूर्ण भारत को जगाने के संकल्प के साथ, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में विगत एक सितम्बर से आहूत ‘हिन्दी पखवारा एवं पुस्तक चौदास मेला’ का गुरुवार को समापन हो गया। सम्मेलन अध्यक्ष दा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस १५ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन, विगत १५ दिनों में विद्यार्थियों के लिए, हिन्दी भाषा और साहित्य से संबंधित आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफल प्रतिभागियों को, समारोह के मुख्यअतिथि और बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने, पुरस्कार राशि, पदक और प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत किया ।इस अवसर पर अपना विचार प्रकट करते हुए, श्री ठाकुर ने कहा कि राजनीति वालों को साहित्य से जुड़ना चाहिए। साहित्य व्यक्ति को संस्कारित करता है। राष्ट्र की परिभाषा करते हुए यह कहा जाता है उसकी एक राष्ट्रभाषा होनी चाहिए। भारत को राष्ट्र माना जाए, इसलिए भारत की भाषा हिन्दीको इसकी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए।बिहार के पूर्व मुख्यसचिव विजय शंकर दूबे ने कहा कि बोलने और समझने की दृष्टि से हिन्दी संसार की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है। अंग्रेज़ी ने अपने कोश में अस्सी प्रतिशत शब्द अन्य भाषाओं से लिए हैं। उसी प्रकार हिन्दी को भी अन्य भाषाओं के शब्द लेने चाहिए।विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष डा राजवर्द्धन आज़ाद ने कहा कि हिन्दी के लिए एक बड़ी क्रांति करने की आवश्यकता है। शीघ्र ही हिन्दी देश की राष्ट्र भाषा होनी चाहिए।अपने अध्यक्षीय उद्गार में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि विगत पंद्रह दिनों में, सम्मेलन के उस संकल्प को पर्याप्त से अधिक बल मिला है, जो हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन ने २०१९ में अपनी स्थापना के शती वर्ष में आयोजित महाधिवेशन में ही यह संकल्प लिया था। संसार के अन्य राष्ट्रों की भाँति भारत को भी अपनी एक राष्ट्रभाषा घोषित करनी चाहिए। प्रायः सभी देशों में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, किंतु कोई न कोई भाषा वहाँ कि राष्ट्र भाषा है। भारत में भी एक राष्ट्रीय-ध्वज, एक राष्ट्रीय चिन्ह, यहाँ तक कि राष्ट्रीय पशु, पक्षी तक भी है, किंतु एक राष्ट्रभाषा नहीं है। विदेश की एक भाषा भारत के सरकार की औपचारिक काम काज की भाषा है, जो भारतियों के लिए वैश्विक लज्जा का विषय है। इस कलंक को शीघ्र दूर किया जाना चाहिए।दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम-प्रमुख डा राज कुमार नाहर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह तथा कुमार अनुपम ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम् प्रकाश पाण्डेय, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, प्रो सुशील कुमार झा, डा सुधा सिन्हा, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, सिद्धेश्वर, डा मुकेश कुमार ओझा, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, चंदा मिश्र, जय प्रकाश पुजारी, डा पुष्पा जमुआर, निर्मला सिंह, बाँके बिहारी साव, तलअत परवीन, कृष्ण मुरारी प्रसाद, अंजुला कुमारी, श्याम बिहारि प्रभाकर, हिन्दीसेवी, हिन्दी-प्रेमी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफल विद्यार्थियों के नाम निम्न प्रकार हैं;-श्रुतिलेख-प्रतियोगिता:प्रथम स्थान- अतुल रायद्वितीय स्थान- वैष्णवी एवं नैन्सी कुमारीतृतीय स्थान – सुमन कुमारी एवं आरुषि कुमारी,निबंध-लेखन-प्रतियोगिता:प्रथम स्थान- काजल कुमारी,द्वितीय स्थान- लक्ष्मी कान्ततृतीय स्थान – विशाल राजव्याख्यान -प्रतियोगिता:प्रथम स्थान- भाव्या कुमारी,द्वितीय स्थान- रुद्राणी सिंह,तृतीय स्थान – चिंटू कुमारी,काव्य-पाठ-प्रतियोगिता:प्रथम स्थान- अंजलि भार्गव,द्वितीय स्थान- अतुल राय,तृतीय स्थान – सत्यमेव कुमार एवं श्रेया कुमारी,श्लोक-गायन-प्रतियोगिता:प्रथम स्थान- मोनिका झा,द्वितीय स्थान- उपासना आर्या,तृतीय स्थान – चंद्रकांत मिश्र एवं चिंटू कुमारदोहा-पाठ-प्रतियोगिता:प्रथम स्थान- अन्विका सिंह,द्वितीय स्थान- अतुल राज,तृतीय स्थान – श्रेया कुमारी,देशभक्ति-गीत -प्रतियोगिता:प्रथम स्थान- अंजलि भार्गव,द्वितीय स्थान- अर्ची,तृतीय स्थान – प्रियांशु,बाल-कवि-सम्मेलन:प्रथम स्थान- उत्तर उत्तरायण,द्वितीय स्थान- कीर्त्यादित्य,तृतीय स्थान – अंशिका को मिला.