जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 02 दिसम्बर ::03 दिसम्बर (शनिवार) को “गीता जयंती” और “मोक्षदा एकादशी” है। मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष को “मोक्षदा एकादशी” है और मोक्षदा एकादशी को ही “गीता जयंती” मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व होता है।गीता के कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है। इनमें से 5 बहुत ही महत्वपूर्ण बातें है जो हर व्यक्ति की कठिनाइयों को दूर कर कामयाबी का रास्ता दिखाता है। “गीता” संकट से उबरने का मार्ग दिखाती है, और इससे मनुष्यों की हर परेशानी दूर होती है। “लक्ष्य” प्राप्ति के लिए क्रोध पर काबू रखना चाहिए। क्योंकि क्रोध से भ्रम पैदा होता है और “भ्रम” से सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। संसार में हर प्राणी को “कर्म” के अनुसार फल मिलता है। इसलिए कर्म करते समय फल की चिंता करना व्यर्थ है। ऐसे भी जो व्यक्ति कर्म पर कम, और फल पर ज्यादा, ध्यान देते है वह दुखी और बेचैन रहते है। “सफलता” के लिए मन पर काबू रखना चाहिए। वस्तुओं से अधिक लगाव असफलता का कारण होता है। मन को वश में करने से दिमाग की शक्ति केन्द्रित होती है और कार्यों में सफलता मिलती है। जीवन में “संतुलन” भी जरूरी है। सुख आने पर उसका बखान करना और दुःख की घड़ी में निराशा में डूबे रहना, दोनों ही हानिकारक है। असंतुलन जिंदगी की गति और दिशा दोनों को बाधित करता है। ऐसा भगवान श्रीकृष्ण का कहना है।गीता जयंती पर कुछ उपाय करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।गीता जयंती के दिन सुबह स्नान आदि करने बाद पूजा करते समय कम से कम एक माला (108 बार) “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में खुशियाँ आती है, रोग-दोष दूर होते है और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। गीता जयंती के दिन “ॐ क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि परमात्मने प्रणतः क्लेश्रशय गोविंदाय नमो नमः” मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) प्रसन्न होते है। गीता जयंती के दिन पीले रंग के फूलों से भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) की पूजा करने से धन-संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती है। घर पर कलह-क्लेश और लड़ाई झगड़े की स्थिति यदि बनी रहती है, तो इस दिन भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) को गुलाब जल और केसर से अभिषेक करनी चाहिए। गीता जयंती के दिन माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना शुभ होता है। वहीं खीर में तुलसी पत्ता डाल कर भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) को भोग लगाना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गीता जयंती के दिन “दो” केले के पेड़ लगाने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। पेड़ों को लगाने के बाद उसकी देखभाल करने और जब उसमें फल आ जाए तो पहले उसका दान करने से, माता लक्ष्मी की कृपा से, घर धन-धान्य से भरा रहता है।इस बार मोक्षदा एकादशी का दुर्लभ योग है। इस दिन कपड़ा दान, अनाज दान, विद्या दान, धातु दान और दवा दान करने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य मिलता है। मोक्षदा एकादशी करने वाले व्यक्ति को जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर बैकुंठ लोक मिलता है। मोक्षदा एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है। रवि योग में “काम” की शुरुआत करने से सूर्य देव और विष्णु जी की कृपा मिलती है, जिससे सभी काम बिना रुकावट के पूरे होते है।03 दिसम्बर को सुबह 07 बजकर 04 मिनट से 04 दिसम्बर को सुबह 06 बजकर 16 मिनट बाद तक रवि योग है। मोक्षदा एकादशी तिथि शुरू होने का समय 03 दिसम्बर को सुबह 05 बजकर 39 मिनट से 04 दिसम्बर को सुबह 05 बजकर 34 मिनट तक है।मोक्षदा एकादशी पर जरूरतमंदों को कपड़ा दान करना चाहिए, ऐसा करने से जीवन में, सौभाग्य आता है और व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है। गरीबों को अनाज यानि गेहूं, गुड़, दाल, चावल, तिल का दान करने से अन्न का अभाव नहीं होता है और समृद्धि में वृद्धि होता है। मोक्षदा एकादशी शनिवार को पड़ने के कारण लोहे के बर्तन में सरसों का तेल और एक रुपये का सिक्का डालकर अपना चेहरा देखकर किसी गरीब को दान करने या पीपल के पेड़ के नीचे रख देने से, रुके हुए कार्य पूरा होते है। मोक्षदा एकादशी के दिन गरीब बच्चों को शिक्षा से संबंधित सामग्री दान करने या किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का जिम्मा उठाने से माता लक्ष्मी और माता सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शनिवार को मोक्षदा एकादशी रहने के कारण धातु यथा लोहा दान करने से आने वाली विपत्ति टल जाती है और मोक्षदा एकादशी पर किसी बीमार असहाय व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधित मदद करने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य प्राप्त होता है।धर्म का अर्थ होता है मनुष्य आत्मा का मिलन, परमात्मा से होना, इसलिए धर्म व्यक्ति के मस्तिष्क से मोह-माया को समाप्त कर जीवन के निर्मल अर्थ से अवगत कराता है। धर्म विश्वास पर आधारित है। धर्म की उत्पत्ति मानव कल्याण के लिए हुई है मानव हानि के लिए नहीं। इसलिए कहा जाता है कि मानव धर्म सभी धर्मों से ऊपर है।
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