सीनियर एडिटर -सुनील पाण्डेय /विकासशील स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव प्रेम कुमार चौधरी ने कहा है कि बिहार में आगामी 15 अप्रैल से शुरू हो रही जातीय जनगणना के दूसरे चरण पर हम लोगों का स्पष्ट मानना है कि वर्तमान परिवेश में बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना के तहत समाज को नए सिरे से टुकड़ों में बांटकर मानवीय मूल्यों को कमजोर करने की बड़ी साजिश है, अमन चैन पसंद करने वाले आम लोगों के बीच समानता की भावना पुनः भड़काने की कोशिश की जा रही है, इतना ही नहीं बल्कि एक जाति को कई उप जातियों में विभाजित कर, भाईचारे के बीच न सिर्फ दरार बनाने की यह कोशिश है, बल्कि उस जाति को कमजोर करने एवं नीचा दिखाने की गणित है, उदाहरण के लिए देखा जाय तो, हमारे समाज मलालाह (निषाद) को केवट, बींद, नोनिया आदि उप जातियों में कोडिंग कर अलग-अलग जातीय कोड जारी किया गया है।बिहार सरकार का यह कदम समाज में असंतोष के साथ-साथ आक्रोश भी फैला रहा है, यह बिहार सरकार के शीर्ष पर बैठे नेताओं का जातीय पूर्वाग्रह है, जबकि बिहार में पहले से ही जातीय मतभेद और हिंसक झड़प के कारण राज्य एवम देश में विकास के मामले में फिसड्डी रहा है। वर्तमान समय में बिहार के विकास की गति को और तेज करने के जगह ऐसी दुर्भावना को पाटने की जरूरत है। सामाजिक एवम राजनीतिक स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं का मानना है कि कृत्य सिर्फ और सिर्फ अपनी जाति जिसकी राज्य में संख्या बहुत कम है और किसी समीकरण की वजह से वह सरकार में काबिज होकर शामिल हैं, उनकी संख्या अधिक बताकर उसे मजबूत दिखाने के लिए किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में सरकार सहित बिहार के राज्यपाल, देश के राष्ट्रपति एवं गृह मंत्री, भारत सरकार से उक्त मामले में हस्तक्षेप कर, इस आदेश को निरस्त करने की अपील कर रही है।