पटना, १६ अप्रैल। “जिस पे सबकुछ लुटा बैठे, सनम वो वेबफा निकला/ जिसे महफ़ूज़ माना था, वो शीशे का मकां निकला — बहुत अच्छे हैं हाल चाल क्या कहिए/ बैठे उल्लू हर एक डाल क्या कहिए—- श्रेणी में तो कार की, फिर भी हैं बेकार/ जगह-जगह चप्पल घिसे ढूँढ रहा रोज़गार—- ।”प्रेम और हास्य-वयंग्य की ऐसी ही गुदगुदाने और हँसाने वाली रचनाओं के साथ, सैकड़ों छात्र-छात्राओं से रु-बरु हो रहे थे, लखनऊ से पधारे देश के ख्यातिनाम कवि राजेश अरोरा ‘शलभ’। श्री शलभ शनिवार को नगर के सबसे पुराने पारा-मेडिकल संस्थान इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर के सहस्राब्दी सभागार में अपना एकल काव्य-पाठ कर रहे थे। उन्होंने जैसे ही “हे लक्ष्मी मैया वर दे! के बी सी में मैं भी जाऊँ, कुछ ऐसा कर दे!” की प्रार्थना की, सभागार में हँसी का फ़व्वारा फूट पड़ा। उनकी अगली रचना पर तो छात्र-छात्राएँ हँसी से लोट-पोट ही हो उठे कि “राजिस कुत्ता पालिए, बिन कुत्ता सब सून/ स्वागत यह हरदम करे सुबह, शाम या नून!”देश के हालात पर एक वयंग्य करते हुए कवि शलभ ने कहा- “बहुत अच्छे हैं हालचाल, क्या कहिए/ बैठे उल्लू हर एक डाल, क्या कहिए/ कहाँ दो जून के भी लाले हैं/ कोई कुत्ते रहा पाल, क्या कहिए”। रैलियों में कार्यकर्ताओं और भींड़ के हो रहे शोषण पर वयंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि “तुम्हें समोसा, मंत्री जी को मिलने वाली थैली है/ रैली है भई रैली है।”काव्य-पाठ के पूर्व संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कवि का परिचय दिया तथा उन्हें अंग-वस्त्रम देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डा संजीता रंजना, प्रो जया कुमारी, प्रो संजीत कुमार, सूबेदार संजय कुमार, डा पी कुमार, प्रो चंद्रा आभा, प्रो मधुमाला कुमारी, डा नवनीत कुमार झा, डा आदित्य ओझा, प्रो प्रिया कुमारी, प्रो देवराज कुमार समेत सैकड़ों की संख्या में संस्थान के चिकित्सक, शिक्षक और छात्रगण उपस्थित थे।