जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना(सीवान), 03 मार्च ::सीवान जिला के एक गांव की रेखा कुमारी बहुत ठीक से लिखना पढ़ना भी नही जानती थी, जब उसे उच्च विद्यालय की छात्र होनी चाहिए थी। तब वह जिस घर मे रह कर उस घर के इकलौते बेटे ईशान की देखरेख के क्रम में उसे किदवइपुरी स्थिति आर0एन0 एकेडमी पढ़ने के लिए पहुंचाने जाया करती थी। इसी क्रम में वह एक दिन बहुत संकोच के साथ आर0एन0 एकेडमी की शिक्षिका रीता समदर्शी से पूछी की क्या मैं भी पढ़ाई कर सकती हूं? मैं अभी कुछ नही जानती हूं और मेरे पास समय भी नही है, लेकिन सोने के समय से समय निकाल कर और एक घण्टा का ईशान की मम्मी से समय मांगकर पढ़ना चाहती हूं।रीता समदर्शी ने उसकी हौसला अफजाई किया और अपने संस्थान में अन्य बच्चों के साथ उसे पढ़ाने लगी। उसने अपनी कड़ी मिहनत और तीव्र इच्छा शक्ति से, उसने न सिर्फ अच्छी तरह से लिखना पढ़ना और मैथ बनाना सीखा, बल्कि अपने को इतना बढाया की बोर्ड परीक्षा देने की सोचने लगी। फिर उसके सामने स्कूल न जा पाने की समस्या आ गई। तब फिर आर0एन0 एकेडमी की शिक्षिका अपने पति नीरव समदर्शी की मदद से उसे अपने साथ ले जा कर डाकबंगला (पटना) के पास की सरकारी विद्यालय में नवमी कक्षा में (अपनी जिम्मेदारी लेकर इस बातकी अनुमति के साथ कि वह सप्ताह में दो-तीन दिन सिर्फ 2 तीन घण्टा के लिए ही विद्यालय में उपस्थित रहेगी) नामांकन करवा दिया।आज रेखा उन तमाम परेशानियों से लड़ती, गिरती, टूटती, अपनी रीता मैंम से प्रोत्साहित होकर संघर्ष करती हुई आखिरकार मैट्रिक परीक्षा द्वितीय श्रेणी से ही सही लेकिन पास कर ली।पहाड़नुमा समस्यायों से एकेली जूझती उस बच्ची को, सिर्फ रीता मैंम से ही सहयोग और उत्साहवर्धन मिल जाता था।हां यह भी सच है कि ईशान की मम्मी नीभा की भी रेखा के लिए बड़ी भूमिका रही कि उसे घर के कामो से एक घण्टे के लिए आर0एन0 एकेडमी और बीच-बीच मे 3 घण्टे के लिए स्कूल जाने की अनुमति देती रही। भले ही इसके लिए उन्हें भी अपने परिवार के अन्य लोगों का विरोध झेलनी पड़ी हो।