90 के दशक में लालू यादव की पूरे बिहार पर राजनीतिक तरिके से कब्जा था.! पूरे बिहार में समाजिक न्याय की बात रखने वाले पहले नेता थे लालू यादव, बिहार के पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग लालू यादव को जबरदस्त समर्थन दिया, जीत के मुख्य्मंत्री बने, हर दबे कुचलो को आवाज दी, साशन और प्रशासन से लड़ने की हिम्मत दी ! और उनके सामाजिक न्याय के दम पर बहुत पिछड़े लोग बिधायक और संसद में पहुंच गए ! कोई भी उनके टिकट से चुनाव लड़ के विधानसभा में पहुंच जाता था ! 15 साल तक राज करने वाले लालू का भी दिन ढल गया, और अपनी पूरी ताकत से बीजेपी +जदयु की गठबंधन ने मिलकर सत्ता को बदल दिया, और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, खूब रोड बनवाये, प्रशासन को फिर से पावर दिया, और अपने साथ दलित और महादिलत, अल्पसंख्यक वोट को आपने पाले में ले लिया और गठबंधन के सहारे 15 साल से गद्दी पर विराज मान है !! बिहार की राजनीती में हमेशा जाति की अहमियत होती है, इसको बहुत बखूबी भुनाया नीतीश ने और अब लालू यादव का कैडर वोट यादव में घुसपैठ कर के लगभग 30 से 35 विधायक को अपने साथ कर लिया और बिहार का फिर से किंगमेकर बन के उभर गए, है ! यादव और मुस्लिम वोट लालू यादव के साथ है, लेकिन इसमें भी यादव को नीतीश कुमार घुशपैठ कर के तोर दिए है !! फिर भी एक नारा बुलंद है #तेज रफ़्तार #तेजश्वी सरकार ! किस बजूद पर समझ से परे है ! बिहार की राजनीति का असली किंग मेकर लालू है, इसमें कोई दो राय नहीं ! अगर लालू यादव बाहर आते है, जेल से तो फिर कुछ बात बनेगी वरना, नीतीश को हटाना तेजस्वी यादव के बस के बात नहीं. क्यूंकि सुपरकॉप नीतीश भी लालू यादव से ही राजनीति का क्लास कर के आज 15 साल से बिहार के सत्ता पर काबिज है, और नहीं लगता हैं की तेजस्वी यादव में सबको साथ लेकर चलने की ताकत हैं. कंट्री इनसाइड न्यूज़ सर्वे में पाया की सरकार के कार्यक्रम से जनता नाराज नहीं हैं, इस लूट के पीछे पंचायत सरकार जिम्मेदार हैं और नीतीश कुमार को मुखिया पर सख़्ती करने की जरुरत हैं.
कौशलेन्द्र पाण्डेय, संपादक