प्रवासी मज़दूर भाईयों के Video देखकर दुःखी हो गया। कमेरे, मज़दूर और मज़लूम वर्ग का सूरत और मुंबई में अपने घर लौटने के लिये सड़क पर उतरना सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। सरकार ग़रीब मज़दूर बंधुओं को उनके घर तक सकुशल पहुँचाने की व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रही है? जैसे विदेशों से जो लोग आए उनकी स्क्रीनिंग कर उन्हें अपने घर तक पहुँचाया गया उसी तरह देश के सभी ग़रीब प्रवासी लोगों की स्क्रीनिंग कर उन्हें भी अपने घर भेजा जाइए।
एक छोटे से रूम में 20 से अधिक ग़रीब मज़दूर रहते है। क्या सरकार नहीं जानती वहाँ कैसी Physical Distancing है? 100 मज़दूर एक शौचालय का प्रयोग करते है। अगर उन्हें देश भर में खड़ी रेलगाड़ियों में Physical Distancing का ख़्याल रखकर वापस घर भेज दिया जाए तो क्या दिक्कत है? हमारे कार्यालय से दिनभर में हज़ारों मज़दूरों से बात कर उनकी मदद की जा रही है। अब उनके पास पैसा, राशन-पानी कुछ नहीं है। जिनके पास है वो भी अपने घर जाना चाहते है।
इस देश में अमीर और ग़रीब के लिए अलग-अलग क़ानून नहीं हो सकता? बिहार सरकार तुरंत गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब सरकारों से बात कर सभी बिहारियों को वापस लाएँ। संकट की घड़ी में हम उन्हें ऐसे नहीं छोड़ सकते। यह सरकार की नैतिक ज़िम्मेवारी है।
दिल्ली से यूपी और बिहार में लाखों मज़दूर आए? क्या उनमें से कोई एक भी पॉज़िटिव केस मिला? आपसे हाथ जोड़कर आग्रह है कि सभी को अपने प्रदेश वापस बुलाइए, उनको क्वारांटाइन करिए, टेस्ट कराइए लेकिन बुलाइए। मुसीबत की घड़ी में हर कोई अपने घर लौटना चाहता है।
कर कोई रास्ता निकालिए।
शैलेश तिवारी /पोलिटिकल एडिटर