भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 में हुई. इसी दिन मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को घटाकर 8 घंटे में तब्दील किया गया था. भारत में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को लेबर डे, मई दिवस, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे भी कहा जाता है. इस दिन दुनियाभर में मजदूरों के हक और अधिकारों से संबंधित कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन की वजह से मजदूर दिवस से जुड़े सभी कामों को पहले ही रद्द कर दिया गया है. अखिल भारतीय मजदूर कौंसिल के प्रधान कामरेड चितरंजन ने मजदूरों को बधाई देते हुए, बताएं मजदूर दुनिया के विकास की रीढ़ हैं. आज दुनिया की जिस चमक पर हम गर्व महसूस करते हैं, ऐशो आराम से अपनी जिंदगी जीते हैं, ये सब मजदूरों की ही देन है. मजदूरों ने ही अपने खून पसीने से दुनिया को ये आधुनिक चमक दी है. अगर मजदूर न होते, तो शायद ये चमक भी न होती. ऐसे में मजदूर दिवस पर हमें इन कामगारों की मेहनत को याद करते हुए इन्हें धन्यवाद करना चाहिए. कोरोना संक्रमण से पूरे देश में लॉक-डाउन चल रहा है. जिसमें अन्य राज्य के मजदूर अलग अलग राज्य में फंसे हुए हैं. जिनको राज्य सरकारी वापस बुलाने के लिए फॉर्म भरवा रही है. लुधियाना में लॉक डाउन की वजह से फंसे हुए मजदूरों को उनके गांव तक पहुंचाने के लिए कामरेड चितरंजन और उनकी टीम ने मजदूरों की सहायता के लिए रंजीत नगर शेरपुर लुधियाना मजदूर यूनियन का दफ्तर मे लोगों का फॉर्म भरने का आयोजन शनिवार सुबह 10:00 बजे किया है. इस मौके पर ए एम मिश्रा, अखिल भारतीय मजदूर कौंसिल के प्रधान कामरेड चितरंजन, राज सिंह राजपूत, मो.शहजाद, डॉ संजय, प्रभु पंडित, संजय गोस्वामी, सोनू पांडेय, अभी मिश्रा, सुजीत शर्मा, कमलेश कुशवाहा की मौजूदगी में यह फॉर्म भरा जाएगा जिससे प्रवासी मजदूरों को उनके गांव जाने में काफी सहायता मिलेगी वह आसानी से इसका लाभ ले सकते हैं।
निखिल दुबे, पंजाब