पटना, ८ सितम्बर। आधुनिक चिकित्सा-विज्ञान में फ़िज़ियोथेरापी की भूमिका बहुत तेज़ी से बढ़ी है। अब इसकी आवश्यकता अस्थि, नस,पेशी, जोड़, स्नायु आदि से संबंधित रोगों तक हीं नहीं, लगभग सभी प्रकार के रोगों में पड़ने लगी है। कई बीमारियों में इसके विना कोई लाभ हो ही नहीं सकता। अनेक रोगों के उपचार में शल्य-चिकित्सा एवं औषधियों के साथ फ़िज़ियोथेरापी भी ज़रूरी हो गया है। किंतु आज से तीन दशक पूर्व भारतवर्ष में इस शब्द से एक प्रतिशत लोग भी परिचित नहीं थे। बिहार ने ही पहली वार इस संस्थान के माध्यम से संपूर्ण भारत वर्ष में फ़िज़ियोथेरापी का अलख जगाया और अवगत कराया कि चिकित्सा-विज्ञान में एक युगांतरकारी क्रांति लेकर फ़िज़ियोथेरापी आयी है।
यह बातें गुरुवार को, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युत औफ़ हेल्थ एजडुकेशन ऐंड रिसर्च में, विश्व फ़िज़ियोथेरापी दिवस पर आयोजित, समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि विविध प्रचार माध्यमों का उपयोग कर पूरे देश में इस संस्थान ने इसकी गूंज पहुँचाई। पूरे देश से विद्यार्थी आने लगे और प्रशिक्षित होकर निकले हामारे छात्र फ़िजियोथेरापिस्टों ने अपने -अपने राज्यों और नगरों में अपनी सेवाओं से इसका मूल्य और महत्त्व सिद्ध किया। यहाँ के छात्र देश की सीमाओं से भी बाहर निकल कर अनेक देशों में यह कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि आज पूरा संसार मानसिक और बौद्धिक रोगों से ग्रस्त है। यह रोग चिकित्सकों को भी हो हो चुका है। चिकित्सा की उपाधियाँ लेकर लोग स्वयं को सेवा कारने वाले के स्थान पर पैसा कमाने की मशीन समझ रहे हैं। यही बौद्धिक-रोग है। इस रोग से बचा चिकित्सक या फ़िज़ियोथेरापिसट सही अर्थों में अपना मूल्य समझ सकेगा।संस्थान में फ़िज़ियोथेरापी के संस्थापक पाठ्यक्रम निदेशक और राज्य के वरिष्ठतम फ़िजियोथेरापिस्टों में से एक डा नरेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि दुनिया भर के चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों में फ़िज़ियोथेरापी विभाग को अनिवार्य रूप से लगाया जा रहा है। इसकी व्यापक उपियोगिता को समझते हुए, इस विधा को बहुत महत्त्व दिया जाने लगा है। इसकी केंद्रीय परिषद गठित हो रही है। अनेक प्रांतों में फ़िज़ियोथेरापी काऊँशिल बन चुकी है। बिहार में भी इसका शीघ्र गठन होगा।सुप्रसिद्ध फ़िज़ियोथेरापिस्ट डा जोशनी पाण्डेय, संस्थान के फ़िज़ियोथेरापी विभाग की अध्यक्ष डा संगीता रंजना, डा रजनी ठाकुर, डा नवनीत कुमार, डा आदित्य ओझा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संस्थान के छात्र-छात्राओं ने मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति कर दर्शकों का मन जीत लिया।इस अवसर पर, संस्था की उपाध्यक्ष किरण झा, निदेशक आभास कुमार, सूबेदार संजय कुमार समेत बड़ी संख्या में शिक्षकगण, कर्मीगण और छात्रगण उपस्थित थे।