रमेश्वर महाविद्यालय, मुज़फ़्फ़रपुर में आज विश्व मानवाधिकार दिवस का आयोजन अत्यंत प्रभावी एवं सार्थक रूप से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य श्यामल किशोर ने की। अपने उद्बोधन में उन्होंने मानवाधिकारों के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को भारतीय संविधान में निहित अधिकारों और कर्तव्यों के संतुलन को समझने हेतु प्रेरित किया।
प्राचार्य महोदय ने कहा कि मानवाधिकार केवल अधिकार प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों का बोध कराने वाला महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान में प्रदत्त प्रमुख मानवाधिकार—
मौलिक अधिकार
समानता का अधिकार
स्वतंत्रता का अधिकार
संवैधानिक उपचार का अधिकार
शोषण के विरुद्ध सुरक्षा
शिक्षा का अधिकार
धर्म की स्वतंत्रता
नागरिकों को सशक्त बनाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हर व्यक्ति गरिमा और समानता के साथ जीवन जी सके।
कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच सार्थक चर्चा हुई, जिसमें आधुनिक समाज में बढ़ती असमानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संवैधानिक दायित्व तथा सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे विषय प्रमुख रहे।
दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष रजनी रंजन सर ने इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) की स्थापना, उद्देश्यों तथा 10 दिसंबर 1948 को स्वीकृत Universal Declaration of Human Rights (UDHR) के ऐतिहासिक महत्व को सरल एवं स्पष्ट रूप से समझाया। उन्होंने बताया कि UNO ने मानव गरिमा, समानता, स्वतंत्रता और वैश्विक शांति को अपनी मूल प्रतिबद्धताओं के रूप में स्थापित किया है, जिसका प्रभाव आज भी विश्व समुदाय पर व्यापक रूप से देखा जा सकता है।
कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद-ज्ञापन शारदानंद साहनी द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने प्राचार्य महोदय, सभी विभागाध्यक्षों, अध्यापकगण, कर्मचारीगण एवं उपस्थित विद्यार्थियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
अंततः कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता, संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करना था, जो सफलतापूर्वक प्राप्त हुआ।
डॉ. एनी जोया,अतिथि सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग /
महाविद्यालय मीडिया प्रभारी




























