प्रिय बिहारवासियों,
बीते दो दिन से डॉक्टर और पुलिस के प्रति हिंसा के जो समाचार देखने को मिल रहें हैं, वो मन को व्यथित करने वाले हैं। ऐसे सभी कृत्य मानवता को, संवेदनाओं को और कोरोना से लड़ाई के प्रति हमारे समर्पण को शर्मसार करते हैं। ये हम सभी के लिए एक कठिन समय है, ऐसा समय जो खतरनाक कोरोना वायरस के रूप में मानव जीवन के लिए चुनौती प्रस्तुत कर रहा है। सरकार और विपक्ष ऐसे कठिन समय में एकजुट होकर कार्य कर रहें हैं क्यूंकि प्रत्येक नागरिक को इस समय एक दूसरे के साथ, भरोसे और सहयोग की आवश्यकता है। प्रत्येक देशवासी, प्रत्येक बिहारवासी को जीवन बचाने की इस मुहीम में योगदान देने की आवश्यकता है।
डॉक्टर ईश्वर का रूप है क्यूंकि वो आपका जीवन बचाते हैं, उनको पत्थर मारना, ईश्वर को पत्थर मारने के बराबर है। पुलिस हमारे लिए संजीवनी का कार्य कर रही है क्यूंकि वो खुद को खतरे में डाल हमारी सुरक्षा का जिम्मा अपने कंधो पर लिए हुए है। हम सब अपने घरों में हैं, परिवार के साथ सुरक्षित हैं, लेकिन पुलिस वाले हमारे लिए सड़कों पर हैं, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ हमारे लिए अस्पताल में काम कर रहें हैं ,बिना रुके, बिना थके, बिना अपने परिवार से मिले। हमारा कूड़ा उठाने, हमें जरूरी राशन पहुंचाने वाले और भी अन्य आवश्यक सेवाओं में लगे मानवता को समर्पित लोग अपने जीवन की परवाह ना करते हुए दूसरे के जीवन को सुरक्षित बनाने में जी जान से लगें हैं। ऐसे में हमारा ये कर्तव्य बन जाता है कि हम इन सभी लोगो के लिए कोई नकारात्मक भाव अपने मन में पैदा ना होने दे, कोई भी ऐसा कार्य करने की चेष्टा ना करें जिनसे इन्हे दुःख पहुँचे या किसी तरह का आघात सहन करना पड़े। जो राष्ट्र के लिए समर्पित हैं, हमे उनके लिए समर्पण रखना होगा।
जितना संभव हो उनका धन्यवाद कीजिये, उनका आभार जताइए, उनके लिए कृतज्ञता का भाव रखिये, क्यूंकि ऐसे कठिन समय में लोगों की जान बचाने वाले ये लोग ईश्वर से कम नहीं है और ईश्वर का वंदन किया जाता है उन्हें पत्थर नहीं मारे जाते।
मेरी हाथ जोड़ कर विनती है कि एक मानव होने के नाते और भारतवासी होने के नाते, इस संवेदनशील समय में अपने दायित्व समझे, मानवता को बचाने के इस मिशन में हर संभव सहयोग करें।
हमारी गौरवशाली संस्कृति ये कहती है, हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब ये कहती है।
शैलेश तिवारी, पोलिटिकल एडिटर.