डॉ. संजीव सिंह की रिपोर्ट :-बिहार में बालू के अवैध खनन के कारण लगातार हो रही फजीहत के बाद सरकार अब दोषियों पर कार्रवाई करने की रणनीति बना रही है। बालू माफिया के साथ कनेक्शन रखने वाले थानेदारों के खिलाफ अब बड़ा एक्शन हो सकता है। ऐसे थानेदार जो बालू के अवैध खनन से जुड़े मामलों में संलिप्त पाए गए उनकी थानेदार ही 10 साल के लिए छीन सकती है। बिहार सरकार ने ऐसा ही फैसला शराबबंदी कानून लागू होने के बाद शराब माफिया के साथ संबंध रखने वाले थानेदारों को लेकर किया था। अब इसी तर्ज पर बालू माफिया से कनेक्शन रखने वाले थानेदारों पर एक्शन की तैयारी है। सूबे में शराबबंदी को सफल बनाने के साथ-साथ बालू के अवैध खनन को रोकना भी राज्य पुलिस मुख्यालय के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पुलिस मुख्यालय ने 4 इंस्पेक्टर समेत 14 सब इंस्पेक्टरों का तबादला किया था। इसमें 11 थानेदार भी शामिल थे। इन सभी का तबादला करते हुए मुख्यालय ने इनका रेंज भी बदल दिया था। लेकिन अब सिर्फ तबादले की कार्रवाई नहीं होगी। तबादले के साथ-साथ बालू माफिया के साथ कनेक्शन रखने वाले थानेदारों की थानेदारी भी 10 साल के लिए छिन लेने की तैयारी है। बालू माफिया पर नकेल कसने और सरकारी अधिकारियों और पुलिस के साथ उनकी मिलीभगत का खुलासा करने के लिए राज्य सरकार की खुफिया टीम ने बड़ा ऑपरेशन किया। आर्थिक अपराध इकाई ने लंबी चौड़ी रिपोर्ट तैयार की. यह रिपोर्ट सरकार के आला अधिकारियों को मिल चुकी है। बालू के अवैध खनन से जुड़े अब तक 155 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. 1 मई से लेकर 20 मई के बीच पटना, रोहतास, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद में डेढ़ सौ से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं। लगभग 160 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। लेकिन इसके बावजूद सरकारी स्तर पर अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से बालू के अवैध खनन का खेल चलता रहा है। पुलिस मुख्यालय की तरफ से पहली बार इस मामले में कार्रवाई की गई और अब बड़ी मछलियों पर गाज गिरने का इंतजार है। लेकिन बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिर इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर रैंक के कर्मियों पर गाज गिरने के बाद अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है।