जितेन्द्र कुमार सिन्हा, 17 जनवरी ::गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर आयोजित होने वाली, ऐतिहासिक परेड/झांकियों में कोरोना के कारण इस बार भाग लेने वाले कलाकार की संख्या कम होगी। ऐसे में 130 करोड़ से अधिक की आबादी में से कुछ चुनिन्दे कलाकार ही इस बार की झांकी में नजर आएंगे और उन सीमित फनकारों में से एक है बिहार के मुंगेर जिला के टेटिया बम्बर प्रखंड के कलाकार राजन कुमार।राजन कुमार अंतरराष्ट्रीय संस्था यूथ होस्टल्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया, बिहार राज्य शाखा के सदस्य भी हैं | यह मुंगेरवासियों, यूथ होस्टल्स एशोसिएशन परिवार, बिहार वासियों और पूरे देश वासियों के लिए खुशी और प्रेरणा का विषय है कि एक छोटे से शहर का युवा इस ऐतिहासिक दिन पर अपनी कला के प्रदर्शन के लिए चयनित किया गया है। इस के लिए राजन कुमार ने खास कर केंद्र वस्त्र मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त किया है, जिनके द्वारा यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है | उन्होंने अपने माता-पिता, पूरे परिवार, मुंगेर, बिहार समेत समस्त देशवासियों के साथ-साथ यूथ होस्ट्ल्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया है |राजन कुमार इस बार बड़ी पगड़ी कलरफुल ड्रेस पहने गुजराती वेशभूषा में वस्त्र मंत्रालय की झांकी को जीवंत करेंगे। इसके लिए राजन कुमार दिल्ली पहुंच गए हैं और रात दिन लगातार राजपथ पर प्रैक्टिस करके 26 जनवरी परेड की तैयारी में जुटे हुए हैं।सूत्रों के अनुसार, देशभक्ति का गहरा जज़्बा राजन कुमार को एक अलग मुकाम पे खडा करता है। शुरू से ही राजन कुमार को कला संस्कृति से बेहद लगाव रहा है। यही वजह है कि 1998 में भारत सरकार से उन्हें छाव डांस के लिए नेशनल अवार्ड मिला था। 2004 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम शामिल हुआ। 2005 मे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने उन्हें सर्टिफिकेट दिया और फिर उनका नाम चार्ली चैपलिन द्वितीय के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है। कई खास मौके पर राजन कुमार ने भारत की कला संस्कृति को उजागर किया है भारत का नेतृत्व किया है पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय कलाकार राजन कुमार के कद्रदान हैं उनके चाहने वाले हैं। इस बार मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल (वस्त्र मन्त्रालय) की झांकी पर राजन कुमार एक गुजराती अटायर में नजर आएंगे। ड्रेस पहनते ही वह किरदार में आ जाते हैं। बहुत बड़ी पगड़ी कलरफुल ड्रेस एकदम से वस्त्र मंत्रालय की झांकी को जीवंत करते हुए राजन कुमार राजपथ पर मन मोहेंगे।राजन कुमार की सोच शुरु से ही अलग रही है। यही वजह है कि बिहार में पहले कलाग्राम की स्थापना उन्होंने की। साथ ही साथ बाफ्टा को स्थापित किया। वह बिहार फिल्म एंड टेलीविजन आर्टिस्ट असोसिएशन ट्रस्ट के फाउंडर अध्यक्ष भी हैं। राजन कुमार ने बिहार की पहली हिंदी फिल्म शहर मसीहा नहीं बनाकर मुंगेरवासियों का सर ऊंचा किया है। जिसके “बिहार में टैलेंट है मगर साइलेंट है” जैसे डायलॉग काफी पॉपुलर हुए।राजन कुमार विकट परिस्थितियों में भी देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार रहते हैं। उनके इसी कारनामे की वजह से भारत सरकार ने उन्हें रंगशाला कैम्प मे आमंत्रित किया। जहां वह रात दिन कलाकारों के साथ रहकर प्रैक्टिस करते रहते हैं।अग्रिम बधाई देने वालों में यूथ होस्टल्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया, दिल्ली राष्ट्रीय कमिटी के साथ-साथ राष्ट्रीय कमिटी के उपाध्यक्ष -सह- बिहार राज्य शाखा के चेयरमैन के एन भारत, प्रसीडेंट मोहन कुमार, उपाध्यक्ष सुधीर मधुकर, रीता कुमारी सिंह, शरद सलारपुड़िया, सचिव ए के बॉस, संगठन सचिव अमिताभ ओझा, कोषाध्यक्ष प्रियेस रंजन समेत, पूर्णिया, आम्रपाली -पूर्णिया, मधेपुरा, कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पाटलिपुत्र, पटना, आरा / शाहाबाद जिला शामिल है |