सीनियर एडिटर -जितेन्द्र कुमार सिन्हा, (नई दिल्ली ब्यूरो ), 15 सितम्बर::हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए दो दशकों से सतत प्रयत्नशील विश्व हिंदी परिषद एवं राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में संस्थान परिसर में हिन्दी दिवस मनाया गया।उक्त अवसर पर अधिक ऋषिकेश -परमार्थ निकेतन निकेतन आश्रम के संस्थापक- अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हिन्दी हमारी आत्मा है और हम आज जो हिन्दी दिवस मना रहे हैं, हिन्दी ह्रदय की भाषा है और भारतीय तथा प्रवासी भारतीय से आग्रह है कि वह हमेशा अपनी मातृभाषा हिन्दी को प्राथमिकता दें और उसे बढ़ावा देने के लिए सभी संकल्पित हों।स्वामी चिदानंद ने कहा कि विदेशों में भी हिन्दी भाषा के साथ नहीं हिन्दी धर्म की रक्षार्थ प्रयत्नशील है। विश्व में धर्म का प्रथम विश्वकोष बनाने वाले स्वामी चिदानंद ने नई पीढ़ी का आव्हान किया कि वे सभी अपनी भाषा को ना भूलें।उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य सभा सांसद रामचंद्र जंगरा ने हिंदी को लोक भाषाओं की अग्रणी भाषा बताते हुए अपने अनुभवजन्य भाषण में हिन्दी के समक्ष आ रही चुनौतियों का वर्णन किया और कहा जब तक हमारे देश में भारतीय संस्कारों और संस्कृति के साथ चरित्र को हिन्दी को नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक हिन्दी की गरिमा व प्रतिष्ठा स्थापित नहीं हो सकती।उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी प्रार्थना की भाषा है। अगर हिन्दी का वर्चस्व बढ़ाना है तो इसे नवीन पीढ़ी को विशेषकर सम्मान, आशा और विश्वास के साथ स्वीकार करना होगा।आरंभ में विश्व हिन्दी परिषद के महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने अतिथियों का विधिवत स्वागत करते हुए परिषद की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहां की सन् 2035 तक हिन्दी वैश्विक राष्ट्रभाषा हो यही लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के महानिदेशक शांतमनु ने हिन्दी को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए एक पुल बताया।हिन्दी दिवस समारोह में अतिथि के रूप में मंच पर प्रसिद्ध इतिहास विद एवं पुरातत्व विद लेखक व हिन्दी प्रेमी अमरनाथ, विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष डी.पी मिश्र तथा प्रकाश हॉस्पिटल नोएडा के अध्यक्ष एवं निदेशक, तथा प्रमुख अस्थि रोग सर्जन, डॉ. विजय सिंह चौहान उपस्थित थे। जिन्होंने मातृभाषा हिन्दी के गुणगान के साथ उसे राष्ट्रभाषा के सिंहासन पर पहुंचाने का आव्हान किया।समारोह के आरंभ में देश के मूर्धन्य कवि और कवयित्रियों ने मंच पर हिंदी गीत, गज़ल, कविताओं से हिन्दी की गंगोत्री बहाई।विश्व हिन्दी परिषद की राष्ट्रीय समन्वयक कवयित्री और पत्रकार डॉ. शकुंतला सरूपरिया (उदयपुर-राजस्थान) के संचालन में डॉ. सत्येंद्र सत्यार्थी के सरस्वती वंदना के साथ ही शुक्ला विनम्र संजीव निगम डॉ.अखिलेश शर्मा सुयश, भार्गवी , डॉ.पूजा दीवान कनक लता गौर, डॉ. आनंद वर्धन पूनम माटिया, मंजूषा रंजन, डॉ. पीयूष रंजन ,अनु अग्रवाल ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डूटा के अध्यक्ष डॉ.अजय भागी ने की।सभी कवियों के साथ हिन्दी दिवस के अवसर पर 10 से अधिक हिन्दी सेवियो का संस्था द्वारा शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया। जिनमें जितेन्द्र कुमार तिवारी, सदानंद पांडे, देवन राय, डॉ.रश्मि सलूजा, डॉ. अपर्णा राय, डॉ. नीता कुमार, डॉ शकुंतला सरूपरिया, अरुणिमा सिन्हा, आलोक कुमार, डॉ. सुभाष गिरी, नवीन कुमार के नाम शामिल थे। धन्यवाद की रस्म डॉ. अरुणिमा सिन्हा ने अदा की।